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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
रामलीला मंचन भक्ति और आस्था का प्रतीक माना जाता है, लेकिन इस बार गाजियाबाद की रामलीला राजनीति और विवादों का अखाड़ा बन गई है। कवि नगर स्थित श्री धार्मिक रामलीला समिति में अध्यक्ष और महामंत्री पर गंभीर आरोप लगे हैं। समिति के आजीवन सदस्य और पूर्व सांसद डॉ. रमेश चंद्र तोमर ने आरोप लगाया है कि नियम विरुद्ध तरीके से उन्हें समिति से बाहर करने का प्रयास किया जा रहा है।
श्री धार्मिक रामलीला समिति
डॉ. तोमर का कहना है कि वे समिति के आजीवन सदस्य हैं, फिर भी अध्यक्ष और महामंत्री ने उन्हें हटाने का नोटिस जारी कर दिया। उनका आरोप है कि समिति के भीतर कुछ लोग व्यक्तिगत लाभ और राजनीतिक दबाव में निर्णय ले रहे हैं। इस विवाद ने शहर में रामलीला मंचन को चर्चा का विषय बना दिया है।
श्री आदर्श रामलीला समिति
उधर, संजय नगर सेक्टर-23 में आयोजित होने वाली रामलीला भी राजनीतिक महाभारत का मैदान बनी हुई है। यहां भाजपा नेता प्रदीप चौधरी और पार्षद पप्पू नगर के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है। बताया जा रहा है कि रोजाना नए-नए आदेश पत्र जारी किए जा रहे हैं, जिससे मंचन की तैयारी पर भी असर पड़ रहा है।स्थानीय लोगों का कहना है कि रामलीला का मंचन हमेशा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का केंद्र रहा है, लेकिन इस बार नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग ने इसकी पवित्रता को धूमिल कर दिया है।
आपसी खींचतान
रामलीला समितियों में हो रही यह खींचतान दर्शाती है कि राजनीति अब धार्मिक आयोजनों में भी गहराई तक पहुंच चुकी है। जहां मंचन का उद्देश्य समाज को धर्म और संस्कृति से जोड़ना होना चाहिए, वहीं अब यह वर्चस्व साबित करने और ताकत दिखाने का साधन बनता जा रहा है।गाजियाबाद में इस समय रामलीला के मंचन से ज्यादा इन विवादों की चर्चा हो रही है। लोगों का मानना है कि आयोजकों को राजनीति से ऊपर उठकर रामलीला के असली उद्देश्य को याद रखना चाहिए, तभी यह महोत्सव अपनी गरिमा बनाए रख सकेगा।