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Politics : भाजपा में फेरबदल पुराने की छुट्टी, नए को जिम्मेदारी

भारतीय जनता पार्टी इस समय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, शिक्षक चुनाव और एमएलसी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है। पार्टी ने हाल ही में पदाधिकारियों का चयन किया था और इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न भी मनाया। मिठाई के डिब्बे बांटे गए, बधाइयाँ दी गईं

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Syed Ali Mehndi
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फाइल फोटो

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

भारतीय जनता पार्टी इस समय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, शिक्षक चुनाव और एमएलसी चुनाव की तैयारियों में व्यस्त है। पार्टी ने हाल ही में पदाधिकारियों का चयन किया था और इस मौके पर कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न भी मनाया। मिठाई के डिब्बे बांटे गए, बधाइयाँ दी गईं और उत्साह का माहौल दिखाई दिया। लेकिन महज़ तीन दिन बाद ही पार्टी ने जिम्मेदारियों में बड़ा फेरबदल कर दिया।

पंचायत चुनाव नजदीक

पंचायत चुनाव को लेकर पहले बॉबी त्यागी को संयोजक और राहुल डैनी को सह संयोजक की जिम्मेदारी दी गई थी। कार्यकर्ताओं ने इस घोषणा का स्वागत किया था। चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग दोनों पदाधिकारियों से मिलने उनके घर तक पहुंचने लगे थे। लेकिन यह खुशी ज्यादा दिन तक टिक नहीं सकी। पार्टी ने अचानक निर्णय बदलते हुए गूंजन शर्मा को पंचायत चुनाव का संयोजक बना दिया और पंकज भारद्वाज तथा अमित रंजन को सह संयोजक नियुक्त कर दिया।हालांकि, बॉबी त्यागी को पूरी तरह दरकिनार नहीं किया गया। उन्हें शिक्षक चुनाव का संयोजक बना दिया गया, लेकिन राहुल डैनी को किसी भी जिम्मेदारी में शामिल नहीं किया गया। यही कारण है कि पार्टी के अंदर असंतोष का माहौल पनप रहा है। एमएलसी स्नातक चुनाव में भी पहले राम त्यागी को संयोजक बनाया गया था, परंतु बाद में उनकी जगह अशोक मोंगा को यह जिम्मेदारी सौंप दी गई।

बदलाव से तैयारी शुरू

इस बदलाव को लेकर भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच कई तरह की चर्चाएँ हो रही हैं। सवाल उठ रहा है कि आखिर तीन दिन बाद ऐसा क्या हुआ कि पहले बांटी गई मिठाई का असर खत्म हो गया और जिम्मेदारियों में फेरबदल करना पड़ा।भाजपा एक बड़ी पार्टी है और इसमें कार्यकर्ता हमेशा किसी न किसी जिम्मेदारी की उम्मीद रखते हैं। जिम्मेदारी मिलने पर वे खुद को सम्मानित और प्रोत्साहित महसूस करते हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ, लेकिन जब अचानक जिम्मेदारी छीनी गई तो कार्यकर्ताओं में निराशा फैल गई। पार्टी की रणनीति क्या है, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन अभी तक इस फैसले से कार्यकर्ताओं के बीच खींचतान और चर्चाएँ जरूर तेज हो गई हैं।

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