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भाजपा में तनातनी
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम कार्यकारिणी के छह सदस्यों के चुनाव को लेकर रविवार को कविनगर स्थित जानकी भवन परिसर में हुई कार्यवाही अचानक बड़े विवाद का कारण बन गई। माहौल उस समय बिगड़ गया जब चुनाव प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से घोषित पांच उम्मीदवारों को माला पहनाकर मंच पर ले आया गया और जीत का जश्न मनाना शुरू कर दिया गया। महापौर सुनीता दयाल ने इसे सदन की अनुशासनहीनता मानते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को निरस्त करने का कड़ा फैसला लिया।
आज था कार्यकारिणी चुनाव
सुबह साढ़े 11 बजे से नामांकन पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। तय कार्यक्रम के अनुसार 12 बजे तक नामांकन होना था। भाजपा महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल ने पार्टी की ओर से पांच पार्षदों—गौरव सौलंकी, प्रवीण चौधरी, श्रीमती प्रमोद यादव, विनील दत्त और देव नारायण शर्मा—के नामों की घोषणा की थी। इसके अलावा भाजपा की ओर से मदन राय, जबकि विपक्ष से अजय शर्मा और शशि सिंह ने भी नामांकन दाखिल किया। इस तरह कुल आठ उम्मीदवार मैदान में आ गए थे। बाद में समझौते के चलते मदन राय ने अपना नाम वापस ले लिया, जिससे सात प्रत्याशी बचे।
महानगर अध्यक्ष की जल्दबाजी
इसी बीच माहौल को और बिगाड़ने वाली स्थिति तब बनी जब परिसर के दूसरे हिस्से में जलपान कार्यक्रम के दौरान अचानक मयंक गोयल पांच पार्षदों को लेकर मंच पर पहुंच गए। वहां माला पहनाकर जश्न मनाने का सिलसिला शुरू कर दिया गया, मानो चुनाव परिणाम पहले ही तय हो गया हो। महापौर और निगम के अन्य अधिकारी उस समय मंच पर उपस्थित नहीं थे। जैसे ही महापौर सुनीता दयाल मंच पर पहुंचीं और इस नजारे को देखा, उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने इसे सीधे तौर पर सदन की गरिमा और अनुशासन का उल्लंघन बताया।महापौर और महानगर अध्यक्ष मयंक गोयल के बीच इस दौरान तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली। महापौर ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक किसी भी प्रकार का जश्न या विजयी घोषणा अनुशासनहीनता है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक परंपराओं और नगर निगम की कार्यवाही की गंभीरता के खिलाफ करार देते हुए पूरी चुनाव प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया।
दो गुटों में भाजपाई
घटना के बाद परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। कुछ पार्षदों और कार्यकर्ताओं ने महापौर के निर्णय का समर्थन किया तो वहीं भाजपा खेमे में नाराजगी भी देखी गई। विपक्षी पार्षदों ने आरोप लगाया कि भाजपा पहले से ही चुनाव को एकतरफा बनाने का प्रयास कर रही थी और यह कदम उसी का प्रमाण है। उनका कहना था कि अगर महापौर कड़ा कदम नहीं उठातीं तो लोकतांत्रिक प्रक्रिया मजाक बनकर रह जाती। नगर निगम कार्यकारिणी चुनाव में इस प्रकार का विवाद गाजियाबाद की राजनीति में लंबे समय तक चर्चा का विषय रहेगा। महापौर के इस निर्णय से जहां विपक्ष को बल मिला है, वहीं भाजपा संगठन के अंदर भी अनुशासन और कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे हैं। अब देखना यह होगा कि चुनाव प्रक्रिया दोबारा कब और किस तरह संपन्न कराई जाती है।