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Politics : लोनी विधायक नन्दकिशोर और स्वामी प्रसाद मौर्य में ज़ुबानी जंग हुई तेज़

लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर के विवादित बयान ने प्रदेश की राजनीति में तूफ़ान खड़ा कर दिया है। दो दिन पूर्व सहारनपुर में आयोजित एक सभा में उन्होंने कथित तौर पर कहा कि “यदि कोई गोवंश काटने वाला मिल जाए, तो उसकी गर्दन काट दो। तुम्हें अपनी मां की

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Syed Ali Mehndi
BJP-विधायक

फाइल फोटो

गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

लोनी से भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर के विवादित बयान ने प्रदेश की राजनीति में तूफ़ान खड़ा कर दिया है। दो दिन पूर्व सहारनपुर में आयोजित एक सभा में उन्होंने कथित तौर पर कहा कि “यदि कोई गोवंश काटने वाला मिल जाए, तो उसकी गर्दन काट दो। तुम्हें अपनी मां की रक्षा करनी चाहिए।” इस बयान के सामने आने के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है।

राजनैतिक सरगर्मी 

विधायक के इस वक्तव्य को लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर खुलकर हमला बोला है। राष्ट्रीय शोषित पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने गुर्जर को “गुंडा” बताते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों को ऐसी भाषा शोभा नहीं देती, क्योंकि इससे समाज में वैमनस्य और हिंसा को बढ़ावा मिलता है। मौर्य ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि वह इस मामले में संज्ञान लें और विधायक के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई की जाए।इधर भाजपा समर्थक और कुछ स्थानीय नेताओं ने विधायक की टिप्पणी को भावनाओं की अभिव्यक्ति बताते हुए उसका बचाव किया है। उनका कहना है कि गोवंश की तस्करी और अवैध कटान को लेकर लोगों में पहले से ही नाराज़गी है, और इसी भावनात्मक माहौल में विधायक ने अपनी बात रखी। हालांकि, बड़ी संख्या में बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे कानून व्यवस्था के लिए खतरनाक बताते हुए विरोध जताया है।

मर्यादा की धज्जियाँ 

मामला केवल आलोचना तक नहीं रुका, बल्कि इसके बाद शुरू हुई राजनीतिक बहस ने मर्यादा की सीमाएँ लांघ दी हैं। दोनों पक्षों के नेता एक-दूसरे पर व्यक्तिगत टिप्पणियाँ कर रहे हैं, जिससे जनचर्चा का स्तर और भी नीचे गिरता नजर आ रहा है। सोशल मीडिया पर भी समर्थक और विरोधी समूह तीखी भाषा का उपयोग कर रहे हैं, जिससे माहौल और तनावपूर्ण हो गया है।विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बयानों से न केवल राजनीतिक वातावरण दूषित होता है, बल्कि समाज में असहिष्णुता भी बढ़ती है। एक संवैधानिक पद पर बैठे जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे संयमित और जिम्मेदार भाषा का उपयोग करें, ताकि जनता के बीच गलत संदेश न जाए।फिलहाल विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है, और सभी की नजरें इस बात पर हैं कि आगामी दिनों में पार्टी नेतृत्व और प्रशासन इस मामले में क्या रुख अपनाता है।

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