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काल्पनिक चित्र
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
राजनीति में चरित्र से ज़्यादा चर्चा कभी-कभी व्यक्ति के अतीत की कहानियों की होती है। उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद क्षेत्र में ऐसा ही एक नाम चर्चा का विषय बना हुआ है — "अटैची चोर नेता"। यह उपनाम सुनते ही लोग तरह-तरह की कहानियाँ सुनाने लगते हैं। कोई कहता है कि यह नेता कभी ट्रेन में यात्रियों की अटैची चुराकर भागता था, तो कोई उसे एक सीरियल अपराधी बताता है जो राजनीति में आकर अब सफेद पोशाक में घूमा करता है। अटैची चोर नेता को मूल रूप से हापुड़ का बताया जाता है जो अब गाजियाबाद के देहात क्षेत्र में रहता है। अटैची चोर नेता साइकिल की सवारी करते हुए राजनीति की नैया पार कर रहा है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा
गाजियाबाद की गलियों से लेकर पान की दुकानों तक, इस "नेता" की कहानियाँ हवा की तरह घूमती हैं। कहा जाता है कि वह पहले एक गिरोह का हिस्सा था, जिसका काम ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों की अटैची चुराना था। ट्रेन रुकने से पहले ही वह अटैची लेकर चलती ट्रेन से छलांग मार देता था। कई बार पकड़ा भी गया, जेल भी गया, लेकिन धीरे-धीरे सिस्टम से नजदीकियां बनाईं और एक दिन राजनीति में प्रवेश कर लिया।
ट्रेन से अटैची चोरी का इतिहास
राजनीति में आते ही जैसे उसका अतीत धुल गया। वह अब मंचों पर भाषण देता है, लोगों के बीच घुल-मिलकर वोट माँगता है और कानून-व्यवस्था की बातें करता है। मगर जनता भूलती नहीं। लोग उसे उसके पुराने नाम से ही पुकारते हैं — "अटैची चोर नेता"। इस नेता पर आज भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन शायद यही राजनीति की विडंबना है कि जिस पर मुकदमे हैं, वह नेता है और जो ईमानदार है, वह आम नागरिक रह जाता है। पार्टी चाहे कोई भी हो, जब जीत की बात आती है तो सभी दल ऐसे चेहरे को टिकट देने से नहीं हिचकिचाते जो भीड़ खींच सकता हो या जिसका असर वोट बैंक पर हो।
अतीत कर रहा है पीछा
गाजियाबाद की जनता दो भागों में बंटी हुई है। एक वर्ग उसे सुधार चुका व्यक्ति मानता है — उनका कहना है कि "जो भी था, अब बदल चुका है।" वहीं दूसरा वर्ग कहता है — "असली चेहरा कभी नहीं बदलता।" इन विरोधाभासी धारणाओं के बीच वह नेता आज भी राजनीति में सक्रिय है, कार्यक्रमों में शिरकत करता है, और अपने चमकदार कुर्ते में सभाओं की शोभा बढ़ाता है।यह भी सच है कि कोई भी व्यक्ति अपने अतीत से भाग नहीं सकता, लेकिन जब वही अतीत उसकी पहचान बन जाए, तो वह व्यक्ति नहीं, एक प्रतीक बन जाता है — अच्छे या बुरे का। "अटैची चोर नेता" उसी प्रतीक का नाम है — एक ऐसा नाम जो राजनीति, अपराध और जनता की याददाश्त के ताने-बाने से बुना गया है।