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Politics : महिला पार्षद के साथ क्यों नहीं खड़ा है भाजपा संगठन

पार्षद शीतल चौधरी पर हुए हमले को काफ़ी समय बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस की धीमी कार्रवाई ने न केवल पार्षदों के बीच रोष बढ़ा दिया है, बल्कि आम जनता के मन में भी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद से न तो हमलावरों की पहचान हो पाई है और

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Syed Ali Mehndi
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भाजपा पार्षद शीतल चौधरी

गाज़ियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

पार्षद शीतल चौधरी पर हुए हमले को काफ़ी समय बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस की धीमी कार्रवाई ने न केवल पार्षदों के बीच रोष बढ़ा दिया है, बल्कि आम जनता के मन में भी सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना के बाद से न तो हमलावरों की पहचान हो पाई है और न ही यह स्पष्ट हो सका है कि हमला रंजिश का नतीजा था या किसी लूट की नीयत से अंजाम दिया गया। हाईटेक कमिश्नरेट प्रणाली होने के बावजूद पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी दिखाई दे रही है।

पुलिस की कार्य प्रणाली 

पार्षदों ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर कड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि जब अत्याधुनिक संसाधन उपलब्ध हैं, तब भी इतने दिनों बाद आरोपियों का सुराग न मिल पाना गंभीर लापरवाही को दर्शाता है। फोरेंसिक रिपोर्ट का अब तक लंबित होना भी जांच की गुणवत्ता और विश्वसनीयता पर संदेह पैदा कर रहा है। शीतल चौधरी का कहना है कि पुलिस कमिश्नर ने सोमवार तक कार्रवाई का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम या गिरफ्तारी सामने नहीं आई। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही खुलासा नहीं किया गया तो वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष न्याय की गुहार लगाने के लिए मजबूर होंगी।उन्होंने बताया कि हमले के बाद से उनका परिवार भय और असुरक्षा के माहौल में जी रहा है। 

बेहद गंभीर मामला 

पुलिस की निष्क्रियता जनता के भरोसे को कमजोर कर रही है, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए किसी भी रूप में अच्छा संकेत नहीं है।उधर, राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी तेज है कि शीतल चौधरी जिस तरह सामाजिक मुद्दों को मुखरता से उठाती हैं, उससे उनकी ही पार्टी के कुछ लोग असहज महसूस कर रहे हैं।माना जा रहा है कि शहर में एक नई, तेजतर्रार और सशक्त महिला नेत्री के उभरने से कुछ राजनीतिक चेहरे खुद को असुरक्षित मानने लगे हैं। नाम न छापने की शर्त पर कुछ भाजपाइयों ने भी स्वीकार किया कि शीतल चौधरी मजबूत और जुझारू महिला हैं, जो अपना न्याय खुद हासिल करने का दम रखती हैं। 

संगठन का सहयोग नहीं

परंतु सवाल यह है कि क्या पार्टी संगठन उन्हें उतना सहयोग दे रहा है, जितना सामान्यतः भाजपा अपने पार्षदों और कार्यकर्ताओं को देती है? पार्टी संगठन का अपेक्षित समर्थन न मिलना भी कई तरह की अटकलों को जन्म दे रहा है।कुल मिलाकर, पार्षद शीतल चौधरी पर हुए हमले का खुलासा न होना पुलिस और प्रशासन की कार्यशैली पर बड़े सवाल खड़े करता है। यदि जल्द कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला न केवल राजनीतिक रूप से गर्म हो सकता है, बल्कि जनता के भरोसे पर भी सीधा प्रहार करेगा।

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