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Politics : क्या दीपावली पर समाजवादी पार्टी करेगी बड़ा धमाका..

उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव की आहट तेज़ होते ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) भी इस बार चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जल्द प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है।

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Syed Ali Mehndi
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चुनावी तैयारी और संभावित प्रत्याशी

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव की आहट तेज़ होते ही राजनीतिक दलों ने अपनी-अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) भी इस बार चुनावी मैदान में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए जल्द प्रत्याशियों की घोषणा कर सकती है। सूत्रों के अनुसार, आगामी दीपावली तक सपा गाजियाबाद जनपद की सभी विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों की औपचारिक घोषणा कर सकती है। इससे पहले ही सियासी गलियारों में संभावित नामों को लेकर चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है।

सपा के संभावित प्रत्याशी 

माना जा रहा है कि मुरादनगर सीट से सुरेंद्र कुमार मुन्नी, गाजियाबाद से विशाल वर्मा, साहिबाबाद से अमरपाल शर्मा, लोनी से जाकिर अली और मोदीनगर से देवेंद्र धामा को टिकट मिल सकता है। हालांकि यह बात अभी केवल अटकलों पर आधारित है, क्योंकि अंतिम निर्णय पार्टी हाईकमान और संभावित गठबंधन पर निर्भर करेगा।

पेचीदा चुनावी समीकरण

गाजियाबाद, दिल्ली-एनसीआर से सटा हुआ एक ऐसा राजनीतिक केंद्र है जहां चुनावी समीकरण हमेशा पेचीदा रहते हैं। यहां शहरी मतदाताओं के साथ-साथ ग्रामीण और मजदूर वर्ग की भी अहम भूमिका रहती है। भाजपा ने पिछले कई चुनावों में इस क्षेत्र में मजबूत पकड़ बनाए रखी है, जबकि बसपा और कांग्रेस की स्थिति कमजोर रही है। ऐसे में सपा के लिए यह चुनावी मैदान चुनौतीपूर्ण लेकिन अवसरों से भरा हुआ है।

अलग सीट अलग समीकरण

यदि सपा अकेले चुनाव लड़ती है, तो उसे अपने संगठन और कार्यकर्ताओं की ताकत पर भरोसा करना होगा। वहीं यदि कांग्रेस के साथ गठबंधन होता है, तो कई सीटों पर समीकरण बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, गाजियाबाद और साहिबाबाद जैसी शहरी सीटों पर गठबंधन का फायदा विपक्ष को मिल सकता है, क्योंकि यहां कांग्रेस के समर्थक भी बड़ी संख्या में मौजूद हैं। दूसरी ओर, लोनी और मुरादनगर जैसी सीटों पर जातीय समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, जहां सपा अपने परंपरागत वोट बैंक पर दांव लगाएगी।

अपने-अपने दावे 

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विशेषज्ञों का मानना है कि प्रत्याशी चयन में स्थानीय लोकप्रियता, जातीय समीकरण और संगठन की पकड़ को प्राथमिकता दी जाएगी। सुरेंद्र कुमार मुन्नी का मुरादनगर क्षेत्र में अच्छा प्रभाव माना जाता है, जबकि साहिबाबाद से अमरपाल शर्मा पहले भी चुनाव लड़ चुके हैं और यहां की राजनीति में सक्रिय चेहरा रहे हैं। इसी तरह लोनी से जाकिर अली मुस्लिम मतदाताओं को साध सकते हैं, जबकि गाजियाबाद से युवा चेहरा विशाल वर्मा पार्टी को नई ऊर्जा दे सकते हैं। मोदीनगर में देवेंद्र धामा को किसानों और स्थानीय कार्यकर्ताओं का समर्थन मिलने की संभावना जताई जा रही है।

भाजपा से सीधा मुकाबला

कुल मिलाकर, सपा की रणनीति गाजियाबाद में भाजपा को कड़ी चुनौती देने की है। लेकिन सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि गठबंधन की स्थिति क्या रहती है और उम्मीदवारों को लेकर स्थानीय स्तर पर कैसा माहौल बनता है। दीपावली के बाद सपा की औपचारिक घोषणा इस जिले की राजनीति को और भी रोचक बना देगी।आगामी दिनों में गाजियाबाद की राजनीति पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी, क्योंकि यहीं से यह तय होगा कि 2027 के चुनावी रण में समाजवादी पार्टी किस तरह भाजपा और अन्य दलों को टक्कर देगी।

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