गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के एनएच-9 के निकट स्थित बहुमंजिला आवासीय परिसर लैंड क्राफ्ट टाउन में शुक्रवार दोपहर अचानक बिजली कट गई और लगभग 30 घंटे बाद शनिवार शाम को जाकर आपूर्ति बहाल हो सकी। 35 मंजिल तक फैली इस हाउसिंग टाउनशिप की तीन बड़ी सोसाइटी में करीब 4000 लोग निवास करते हैं। बिजली न होने की वजह से पूरे परिसर में अफरा-तफरी का माहौल बन गया और निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बिजली आपूर्ति बाधित होने का सबसे बड़ा असर लिफ्ट सेवा पर पड़ा। ऊंची मंजिलों तक बनी इमारतों में लिफ्ट बंद हो जाने से बुजुर्ग, महिलाएं, बच्चे और बीमार लोगों को बेहद कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। कई लोगों को जरूरी काम होने के बावजूद ऊपरी मंजिलों से नीचे उतरना मुश्किल हो गया। कुछ लोग तो सीढ़ियों से ऊपर-नीचे आने को मजबूर हुए जिससे शारीरिक थकान और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं भी देखने को मिलीं।
30 घंटे बिजली गुल
लैंड क्राफ्ट टाउन में रहने वाले प्रसिद्ध गीतकार और साहित्यकार डॉ. धनंजय सिंह ने घटना पर गहरी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा, "करीब 30 घंटे की लगातार बिजली कटौती ने पूरे परिसर के निवासियों को बुरी तरह प्रभावित किया। समिति के लोगों ने बिजली विभाग से बार-बार संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कहीं से कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। इस दौरान बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोग बेहद परेशान रहे।" डॉ. सिंह ने यह भी कहा कि इतनी बड़ी सोसाइटी में इस तरह की लापरवाही न केवल अव्यवस्था को दर्शाती है, बल्कि आपातकालीन स्थितियों को भी न्योता देती है। उनका कहना है कि यदि किसी फ्लैट में ऑक्सीजन सपोर्ट या कोई जीवन रक्षक उपकरण चल रहा होता तो इतने लंबे समय की बिजली कटौती जानलेवा भी हो सकती थी
बिजली विभाग गुमशुदा
निवासियों का आरोप है कि बिजली विभाग ने न तो कोई पूर्व सूचना दी और न ही किसी अधिकारी ने मौके पर आकर हालात का जायजा लिया। यह स्थिति प्रशासनिक उदासीनता की मिसाल बन गई। स्थानीय रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (RWA) ने बताया कि मेंटेनेंस टीम और बिल्डर भी इस दौरान निष्क्रिय नजर आए, जिससे लोगों की निराशा और बढ़ गई।सोसाइटी के कई सदस्यों ने बिजली व्यवस्था में सुधार की मांग करते हुए कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए बिजली विभाग और मेंटेनेंस एजेंसी को मिलकर एक ठोस कार्य योजना बनानी चाहिए। वैकल्पिक व्यवस्था के तहत जेनरेटर की क्षमता और उपयोग पर भी सवाल उठे हैं।
सोसाइटी वासियों में आक्रोश
यह घटना एक चेतावनी है कि अत्याधुनिक कहे जाने वाले रिहायशी टाउनशिप्स में अगर मूलभूत सुविधाएं समय पर उपलब्ध न कराई जाएं तो वहां रहना असुविधाजनक और असुरक्षित हो सकता है। निवासियों ने अब संबंधित अधिकारियों से उचित कार्रवाई और जवाबदेही की मांग की है। यह बिजली संकट न केवल एक तकनीकी विफलता था, बल्कि मानव जीवन की मूल आवश्यकताओं की उपेक्षा का प्रतीक भी बन गया। गाजियाबाद जैसे विकसित होते शहर में ऐसी घटनाएं व्यवस्था की गंभीर खामियों की ओर संकेत करती हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।