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Prachin Dasna devi Mandir : डासना देवी मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की धूम

डासना के प्रसिद्ध देवी मंदिर में बीते पांच दिनों से चल रहे भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव ने क्षेत्र में अध्यात्म और श्रद्धा का अनूठा वातावरण बना दिया। यह विशेष अवसर अक्षय तृतीया के दिन अपने चरम पर पहुंचा, जब भगवान शिव, माता पार्वती तथा उनके समस्त दिव्य

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Syed Ali Mehndi
प्राचीन डसना मंदिर में कार्यक्रम

प्राचीन ढकना मंदिर में कार्यक्रम

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गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता

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डासना के प्रसिद्ध देवी मंदिर में बीते पांच दिनों से चल रहे भव्य प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव ने क्षेत्र में अध्यात्म और श्रद्धा का अनूठा वातावरण बना दिया। यह विशेष अवसर अक्षय तृतीया के दिन अपने चरम पर पहुंचा, जब भगवान शिव, माता पार्वती तथा उनके समस्त दिव्य परिवार की विधिपूर्वक प्राण प्रतिष्ठा की गई। इस महोत्सव में कई श्रद्धालु, संत, महात्मा एवं समाजसेवी उपस्थित हुए, जिससे यह आयोजन एक महान धार्मिक समागम बन गया।

कार्यक्रम में मौजूद अतिथि गण
कार्यक्रम में मौजूद अतिथि गण

 

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महामंडलेश्वर का सम्मान 

कार्यक्रम में समरकूल ग्रुप के चेयरमैन संजीव कुमार गुप्ता विशेष अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। उन्होंने देवी मंदिर के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद का अंगवस्त्र अर्पित कर सम्मान किया। यह दृश्य श्रद्धा और संस्कृति का एक जीवंत प्रतीक बन गया, जहां आध्यात्मिकता और सामाजिक सहभागिता का समन्वय देखने को मिला।

वैदिक मंत्र हवन पूजन

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प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दौरान वैदिक मंत्रों, हवन और पूजन विधियों ने वातावरण को पवित्र और दिव्यता से ओतप्रोत कर दिया। मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया गया था और श्रद्धालुओं के लिए भंडारे की व्यवस्था भी की गई थी, जिसमें हजारों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। पांच दिनों तक चले इस धार्मिक अनुष्ठान ने क्षेत्र में धर्म और संस्कृति के प्रति एक नई चेतना का संचार किया।

प्रतिमा की भेंट 

कार्यक्रम की समाप्ति पर मंदिर कमेटी द्वारा संजीव कुमार गुप्ता को माता रानी की एक दिव्य प्रतिमा भेंट स्वरूप प्रदान की गई, जिससे उन्हें सम्मानित किया गया। यह सम्मान न केवल उनके सामाजिक योगदान की सराहना थी, बल्कि धर्म और संस्कृति के प्रति उनकी निष्ठा का प्रतीक भी था।

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सफल रहा आयोजन

इस प्रकार, डासना देवी मंदिर में संपन्न हुआ यह प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं था, बल्कि समाज को जोड़ने, संस्कृति को सहेजने और श्रद्धा को मजबूत करने का एक प्रेरणास्पद प्रयास था। इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि जब समाज के विभिन्न वर्ग – संत, श्रद्धालु और उद्यमी – एक मंच पर एकत्र होते हैं, तो धर्म और सेवा का संगम अवश्य सफल होता है।

 

 

 

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