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शादी में आतिशबाजी
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
शादी-ब्याह के सीज़न में शहर का आसमान पटाखों की चमक और धुएं से भर गया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देशों और प्रतिबंधों के बावजूद लोग खुलेआम आतिशबाज़ी कर रहे हैं, जिससे न केवल पर्यावरण प्रदूषण बढ़ रहा है बल्कि सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की भी अनदेखी हो रही है।
कोर्ट की अवहेलना
वर्ष 2018 में कोर्ट ने केवल ‘ग्रीन पटाखों’ की अनुमति दी थी, वह भी सीमित समय और ध्वनि स्तर के भीतर। बावजूद इसके, गाजियाबाद में नियमों का लगातार उल्लंघन जारी है।ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. बी.पी. त्यागी ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण कई बार 220 डेसिबल तक पहुंच जाता है, जो कानों और दिमाग दोनों के लिए बेहद नुकसानदायक है। आतिशबाज़ी के धमाकों और धुएं से बुजुर्गों, बीमारों और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है। यह न केवल पर्यावरण संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन है बल्कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है।
कड़ी कानूनी कार्यवाही आवश्यक
डॉ त्यागी ने प्रशासन और पुलिस से आग्रह किया कि कोर्ट के आदेशों का सख्ती से पालन कराया जाए और उल्लंघन करने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि कानून समाज की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं, न कि दिखावे के लिए। नागरिकों को यह समझना चाहिए कि कुछ मिनटों की आतिशबाज़ी के बदले वे अपने शहर के पर्यावरण को लंबे समय तक नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्होंने स्थानीय निकायों से जनजागरूकता अभियान चलाने की अपील की ताकि लोग पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझ सकें।
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