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Problem : बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ज़ूनोसिस का खतरा,सावधानी ही बचाव

बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा केवल घरों और ज़मीन को ही नुकसान नहीं पहुँचाती, बल्कि यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी गंभीर खतरे पैदा करती है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जानवरों, चूहों और अन्य जीव-जंतुओं की मौत के कारण कई बार ज़ूनोसिस (Zoonosis) जैसी बीमारियों का

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Syed Ali Mehndi
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फाइल फोटो

ग़ाज़ियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा केवल घरों और ज़मीन को ही नुकसान नहीं पहुँचाती, बल्कि यह स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी गंभीर खतरे पैदा करती है। बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में जानवरों, चूहों और अन्य जीव-जंतुओं की मौत के कारण कई बार ज़ूनोसिस (Zoonosis) जैसी बीमारियों का खतरा तेजी से बढ़ जाता है।

ज़ूनोसिस क्या है?

 इस संबंध में डॉक्टर बृजपाल त्यागी ने बताया कि ज़ूनोसिस वे रोग या संक्रमण हैं जो जानवरों से मनुष्यों में फैलते हैं। ये सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क, दूषित पानी-मिट्टी, कीट-पतंगों या दूषित पशु उत्पादों के जरिए फैल सकते हैं।

फैलने के प्रमुख तरीके:

सीधे संपर्क से—जैसे कुत्ते के काटने से रेबीज़।

अप्रत्यक्ष संपर्क से—बाढ़ में मृत जानवरों से फैला संक्रमण।

वाहक के जरिए—मच्छर, मक्खी, किलनी (tick) आदि।

दूषित पशु उत्पादों से—अधपका मांस या बिना उबाला दूध।

ज़ूनोसिस से जुड़ी प्रमुख बीमारियाँ

वायरस जनित: रेबीज़, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, इबोला, COVID-19।

बैक्टीरिया जनित: प्लेग (चूहे से), लेप्टोस्पायरोसिस, ब्रुसेलोसिस।

परजीवी जनित: टॉक्सोप्लाज़्मोसिस, हाइडेटिड रोग।

फफूंद जनित: ब्लैक, व्हाइट और येलो फंगस।

खतरे की गंभीरता

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, मनुष्यों की लगभग 60% संक्रामक बीमारियाँ ज़ूनोसिस श्रेणी में आती हैं। SARS, MERS और COVID-19 जैसी नई उभरती बीमारियों का स्रोत भी जानवर ही रहे हैं। बाढ़ग्रस्त इलाकों में इन बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि वहाँ साफ-सफाई और स्वच्छ जल की भारी कमी हो जाती है।

बचाव के उपाय

बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पानी की सफाई अनिवार्य है।

पानी शुद्ध करने वाली किट, स्प्रे और पाउडर का उपयोग किया जाए।

मृत जानवरों का समय पर सुरक्षित निस्तारण किया जाए।

अधपका मांस और बिना उबाला दूध सेवन से बचें।

मच्छरों व अन्य वाहकों को नियंत्रित करने के लिए दवा का छिड़काव किया जाए।

गंभीर खतरा 

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बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ज़ूनोसिस एक छिपा हुआ लेकिन गंभीर खतरा है। अगर समय रहते रोकथाम के उपाय नहीं किए गए, तो यह बड़ी महामारी का रूप ले सकता है। इसलिए प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय लोग मिलकर जागरूकता और साफ-सफाई पर ध्यान दें। सावधानी ही इन बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर उपाय है।

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