/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/10/screenshot_2025_1110_170826-2025-11-10-17-09-51.jpg)
खुले में पड़ी है निर्माण सामग्री
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
शहर में बढ़ते प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए किए जा रहे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। नगर निगम और संबंधित विभागों के अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर केवल कागज़ी कार्रवाई में व्यस्त दिखाई दे रहे हैं। वहीं, नागरिकों में इस स्थिति को लेकर भारी नाराज़गी है।
लगातार लापरवाही
हाल के दिनों में गाजियाबाद विकास प्राधिकरण से नगर निगम को हैंडओवर हुए इंदिरापुरम क्षेत्र में करोड़ों रुपये की लागत से सीवर लाइन, नाली और सड़क निर्माण का कार्य कराया जा रहा है। लेकिन इन निर्माण स्थलों पर न तो एंटी-स्मॉग गन का उपयोग किया जा रहा है, न ही धूल रोकने के लिए पानी का छिड़काव। इस कारण से क्षेत्र में धूल का गुबार छाया रहता है और वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खराब श्रेणी में दर्ज किया जा रहा है।
सारे दावे हवा हवाई
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन केवल बैठकों और बयानों में प्रदूषण नियंत्रण की बातें करता है, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। इंदिरापुरम, वैभव खंड, न्याय खंड, कौशांबी और वसुंधरा जैसे क्षेत्रों में सुबह और शाम के समय धुंध की परत स्पष्ट दिखाई देती है। इसके बावजूद प्रदूषण नियंत्रण विभाग की ओर से न तो कोई निरीक्षण अभियान चलाया गया और न ही जिम्मेदार ठेकेदारों पर कार्रवाई की गई।विशेषज्ञों का कहना है कि यदि धूल और निर्माण सामग्री को नियंत्रित नहीं किया गया तो नवंबर-दिसंबर में गाजियाबाद की हवा सांस लेने लायक नहीं बचेगी। बावजूद इसके, नगर निगम की कार्यशैली सवालों के घेरे में है। शहरवासी अब पूछ रहे हैं कि जब हर साल प्रदूषण के स्तर को लेकर चेतावनी दी जाती है, तब भी क्यों नहीं जिम्मेदार विभाग समय रहते सक्रिय होते?
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us