गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद एक बार फिर खतरनाक वायु प्रदूषण की मार झेल रहा है। गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर दर्ज किया गया, जब शहर का औसतन एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 401 रहा। गत 18 नवंबर की सुबह आठ बजे भी गाजियाबाद का AQI पूरे देश में सबसे अधिक पाया गया। लगातार दो दिनों तक पहले स्थान पर रहने के बाद आज भी गाजियाबाद देश के टॉप 5 प्रदूषित शहरों में शामिल है। अक्टूबर और नवंबर में यह चौथी बार है जब गाजियाबाद ने यह ‘कुख्यात’ स्थान हासिल किया है। यह स्थिति साफ सवाल खड़ा करती है कि तमाम अभियान, निगरानी और कार्यवाहियों के बावजूद गाजियाबाद का प्रदूषण काबू क्यों नहीं हो पा रहा?
प्रदूषण नियंत्रण के उपाय नाकाफी
शहर में लगातार कूड़ा जलने की घटनाएं सामने आ रही हैं। कई इलाकों में खुले में कचरा उठाने और निस्तारण की व्यवस्था कमजोर होने के कारण लोग अक्सर कूड़े में आग लगा देते हैं। वहीं, सड़कों पर उड़ती धूल प्रदूषण को कई गुना बढ़ा रही है। नगर निगम की ओर से कुछ स्थानों पर पानी का छिड़काव किया जा रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल अस्थायी राहत देता है जबकि प्रदूषण की जड़ें कहीं अधिक गहरी हैं।वायु प्रदूषण के कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं। शहर के अस्पतालों में सांस फूलने, श्वसन रोगों, आंखों में जलन और गले में खराश के मामलों में वृद्धि दर्ज की जा रही है। यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि AQI गंभीर श्रेणी (Severe Category) में बना हुआ है, जो लंबे समय तक रहने पर लोगों के लिए बेहद खतरनाक साबित होता है।ये आंकड़े बताते हैं कि शहर का कोई भी इलाका प्रदूषण से अछूता नहीं है। लोग घरों के भीतर भी जहरीली हवा के बीच सांस लेने को मजबूर हैं।
63 लाख का जुर्माना—प्रदूषण बोर्ड की कार्रवाई जारी
उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) की क्षेत्रीय अधिकारी अंकित सिंह ने बताया कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देश पर ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू है और फिलहाल इसका तीसरा चरण प्रभावी है। बोर्ड ने अब तक विभिन्न औद्योगिक इकाइयों, निर्माण स्थलों और प्रदूषण फैलाने वाली गतिविधियों पर 63 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसमें से 46 लाख रुपये वसूले जा चुके हैं।कई फैक्ट्रियां रात में चलकर कार्रवाई से बचने का प्रयास करती हैं। लेकिन UPPCB ने पिछले एक महीने में 35 से अधिक अवैध फैक्ट्रियों को सील किया तथा इनके बिजली कनेक्शन भी काटे जा चुके हैं। बोर्ड की टीमें 24 घंटे ग्राउंड पर मॉनिटरिंग कर रही हैं।
चार विशेष टीमों का गठन
अंकित सिंह के अनुसार प्रदूषण बढ़ने के मुख्य कारण हैं—सड़कों पर उड़ती धूल, ट्रैफिक जाम, मानकों के विपरीत ईंधन का इस्तेमाल करने वाली औद्योगिक इकाइयां, कूड़ा जलाना और बड़े निर्माण स्थलों पर उठने वाली धूल। इन पर नियंत्रण के लिए UPPCB ने चार विशेष टीमों का गठन किया है, जिनमें से एक टीम रात में पेट्रोलिंग कर अवैध गतिविधियों पर कार्रवाई करती है।
मेयर सुनीता दयाल ने दी जनता को सलाह—“इंद्र देवता हों मेहरबान”
नगर निगम की मेयर सुनीता दयाल ने कहा कि निगम अपनी पूरी शक्ति के साथ प्रदूषण के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। पानी का छिड़काव लगातार हो रहा है और निर्माण गतिविधियों पर सख्त निगरानी रखी जा रही है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि वे मास्क पहनने, अनावश्यक निर्माण कार्य रोकने, और कूड़ा न जलाने में सहयोग दें। उन्होंने यह भी कहा कि यदि बारिश हो जाए तो शहर को अस्थायी राहत मिल सकती है, इसलिए “इंद्र देवता से प्रार्थना करें कि एक बार मेहर करें।”
जिलाधिकारी की अपील—“समग्र प्रयास ही समाधान”
जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदर ने कहा कि प्रशासन प्रदूषण नियंत्रण को लेकर हर संभव प्रयास कर रहा है और किसी भी प्रदूषणकारी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने जनता से भी अपील की कि सभी लोग इस लड़ाई में अपना योगदान दें, क्योंकि केवल सरकारी प्रयास पर्याप्त नहीं होंगे।
नगर आयुक्त का दावा—“सबसे बेहतर प्रयास जारी”
नगर आयुक्त विक्रमादित्य मलिक ने बताया कि समस्या का समाधान खोजने के लिए कई टीमें गठित की गई हैं। प्रदूषण बोर्ड से लगातार समन्वय बना हुआ है और सामूहिक प्रयासों के माध्यम से ही इस गंभीर समस्या से निपटा जा सकता है।
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