गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता। पर्यावरण के अनुकूल और आधुनिक सार्वजनिक परिवहन प्रणाली के तहत शुरू की गई ई-बसों को फिलहाल चीन से आने वाली बैटरियों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कौशांबी डिपो से संचालित कुल 50 ई-बसों में से 14 बसें फिलहाल खराब बैटरियों के कारण खड़ी हैं और सड़कों पर नहीं उतर पा रही हैं। यह स्थिति न केवल प्रशासन के लिए चिंता का विषय है, बल्कि आम जनता की भी असुविधा का कारण बन रही है।
14 ई-बस खराब
कौशांबी डिपो से शहर के विभिन्न क्षेत्रों में छह अलग-अलग रूटों पर ये बसें संचालित होती हैं। लेकिन इन बसों की बैटरियों के जलभराव और तकनीकी खराबी के कारण अब इनमें से 14 बसें डिपो में खड़ी हैं। क्षेत्रीय परिवहन प्रबंधक केसरी नंदन चौधरी के अनुसार, हाल में हुई भारी बारिश और सड़कों पर जलभराव के चलते ई-बसों की बैटरियों में पानी घुस गया, जिससे वे खराब हो गईं। इन बसों को फिर से सड़कों पर लाने के लिए नई बैटरियों की आवश्यकता है, जिसके लिए मुख्यालय को पहले ही अनुरोध भेजा जा चुका है।
चीन पर निर्भरता
सबसे बड़ी समस्या यह है कि इन ई-बसों में जो बैटरियां लगती हैं, वे चीन से आयात की जाती हैं। इस वजह से न सिर्फ इनका मंगाना एक लंबी प्रक्रिया है, बल्कि किसी तरह की खराबी होने पर उन्हें वापस भेजना और नई बैटरी मंगाना भी समय-साध्य होता है। मौजूदा हालात में यही प्रक्रिया इन 14 बसों की मरम्मत में देरी का कारण बन रही है। परिवहन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जैसे ही नई बैटरियां पहुंचेंगी, इन बसों को पुनः सेवा में लाया जाएगा।
आत्मनिर्भरता पर सवाल
इस स्थिति ने एक बार फिर भारत में बैटरी निर्माण और आपूर्ति श्रृंखला की आत्मनिर्भरता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तक बैटरियों के निर्माण में देश स्वावलंबी नहीं होगा, तब तक सार्वजनिक परिवहन जैसी आवश्यक सेवाएं विदेशी आपूर्ति पर निर्भर रहेंगी, जिससे आम जनता को बार-बार परेशानी झेलनी पड़ेगी।
प्रभावी कदम आवश्यक
जरूरत इस बात की है कि भारत सरकार और राज्य सरकारें ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने के साथ-साथ बैटरी निर्माण में भी आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ठोस कदम उठाएं। इससे न केवल विदेशी निर्भरता कम होगी, बल्कि आपातकालीन परिस्थितियों में त्वरित समाधान भी उपलब्ध हो सकेगा।गाजियाबाद की जनता को उम्मीद है कि जल्द ही नई बैटरियां आ जाएंगी और सभी बसें फिर से सड़कों पर दौड़ेंगी। लेकिन यह केवल एक अस्थायी समाधान है; स्थायी समाधान आत्मनिर्भर भारत की दिशा में निवेश और नवाचार से ही निकलेगा।