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श्रद्धा विधवा पेंशन
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
जिले में मुख्यमंत्री विधवा पेंशन योजना के तहत 33,993 महिलाओं को त्रैमासिक आधार पर पेंशन की धनराशि उपलब्ध कराई जाती है। यह योजना सरकार द्वारा सामाजिक सुरक्षा के तहत चलाई जाती है, ताकि विधवा महिलाओं को जीवन-यापन में सहयोग मिल सके। हालांकि हाल के दिनों में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer – DBT) की प्रक्रिया में बदलाव के कारण सैकड़ों महिलाएं इस योजना के लाभ से वंचित हो रही हैं।
732 महिलाएं परेशान
जिले में करीब 732 ऐसी महिलाएं हैं, जिन्हें डीबीटी न होने के चलते पेंशन नहीं मिल पा रही है। इससे उन्हें आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मोदीनगर निवासी तारा देवी ने बताया कि उन्हें आखिरी बार मार्च 2023 में पेंशन प्राप्त हुई थी। इसके बाद से उनके खाते में कोई राशि नहीं आई। जब वह जानकारी के लिए विकास भवन पहुंचीं, तो बताया गया कि उनके बैंक खाते में डीबीटी सक्रिय नहीं है।
जाने क्यों बंद हो गई पेंशन
इसी प्रकार वंदना, जो मोदीनगर की ही रहने वाली हैं, ने बताया कि उन्हें पिछली बार अक्टूबर 2024 में पेंशन मिली थी। विभागीय अधिकारियों से पूछताछ करने पर उन्हें बताया गया कि डीबीटी प्रक्रिया पूरी होते ही जनवरी में पेंशन मिलने लगेगी। वहीं, प्रहलादगढ़ी निवासी रफिकन ने भी इसी प्रकार की समस्या बताई। उन्होंने बताया कि उन्हें फरवरी 2024 के बाद से पेंशन नहीं मिली है। अब जाकर जानकारी मिली है कि डीबीटी प्रक्रिया के लिए बैंक जाना आवश्यक है।
कुछ हुए हैं बदलाव
जिले के प्रोबेशन अधिकारी मनोज कुमार पुष्कर ने बताया कि पेंशन भुगतान की प्रक्रिया में सितंबर 2024 में बदलाव किया गया है। अब पेंशन प्राप्त करने के लिए लाभार्थियों को अनिवार्य रूप से बैंक जाकर डीबीटी प्रक्रिया को पूरा करना होगा। इसके बाद ही उनके खाते में पेंशन की राशि भेजी जा सकेगी।
3952 नया आवेदन
उन्होंने बताया कि योजना के तहत जिले से एक वर्ष में 3,952 नए आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिन्हें समय पर पेंशन देना सुनिश्चित किया जा रहा है। डीबीटी की अनिवार्यता का उद्देश्य पारदर्शिता और सीधे लाभार्थी तक राशि पहुंचाने की प्रक्रिया को मजबूत करना है।
हर प्रकार की सहायता उपलब्ध
हालांकि, जिन महिलाओं को इसकी जानकारी नहीं है या जो तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं, उन्हें प्रक्रिया पूरी करने में कठिनाई हो रही है। ऐसे में आवश्यकता है कि विभागीय स्तर पर विशेष शिविर लगाकर महिलाओं को डीबीटी प्रक्रिया के बारे में जागरूक किया जाए और उन्हें आवश्यक सहायता प्रदान की जाए। सरकार की यह पहल निश्चित रूप से सराहनीय है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता और सुविधा दोनों का ध्यान रखा जाना आवश्यक है। समय रहते समस्या का समाधान कर लाभार्थियों को नियमित पेंशन मिल सके, यही सभी की अपेक्षा है।