गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।
मोदीनगर का सबसे पुराना मुलतानीमल मोदी कॉलेज इन दिनों शिक्षा के क्षेत्र में किसी उपलब्धि की वजह से नहीं बल्कि कार्यवाहक प्राचार्य और काॅमर्स विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट के बीच चल रहे विवाद की वजह से सुर्खियों में है। दोनों प्रोफेसर्स के बीच का विवाद पहले थाने पहुंचा और अब यही विवाद राष्ट्रीय अनुसूचित जाति-जनजाति (एससी-एसटी) आयोग पहुंच गया है।
ये है मामला
इसी साल के फरवरी महीने में कॉमर्स विभाग के प्रमुख वेदप्रकाश और कार्यवाहक प्राचार्य दीपक अग्रवाल के बीच मामूली विवाद हो गया था। इस मामले में वेदप्रकाश ने पुलिस बुला ली थी। बाद में वेदप्रकाश ने इसकी शिकायत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग में की थी। आरोप लगाया गया कि कार्यवाहक प्राचार्य दीपक अग्रवाल ने उनको जातिसूचक शब्द कहे। उन्हें भुगत लेने की धमकी दी। आयोग ने इसका संज्ञान लेकर दोनों पक्षों से जवाब मांगा। आयोग में इस मामले में सुनवाई के लिए 28 मई की तारीख तय है।
नया विवाद
वेदप्रकाश ने इस प्रकरण के बाद सवाल उठाया कि कार्यवाहक प्राचार्य के पद पर रहते हुए दीपक अग्रवाल जांच काे प्रभावित करेंंगे। उनकी शिकायत पर दीपक अग्रवाल के शैक्षिक अधिकारों पर रोक लगा दी गई। उनके पास केवल वित्तीय अधिकार ही रह गए थे। उनके स्थान पर शैक्षिक जिम्मेदारियों को हिंदी की विभागाध्यक्ष डॉ. वंदना शर्मा को सोंप दिया गया।
प्रबंध समिति ने दे दी क्लीन चिट
कार्यवाहक प्राचार्य पर लगे आरोपों की जांच प्रबंध समिति ने की। प्रबंध समिति ने अपनी जांच रिपोर्ट में आरोपों को निराधार मानते हुए दीपक अग्रवाल को न सिर्फ क्लीन चिट दे दी बल्कि उनके शेक्षिक अधिकारों को भी बहाल कर दिया है।
ये कहना है दोनों पक्षों का
मामले में प्रोफेसर वेदप्रकाश का कहना है कि प्रबंध समिति ने भले ही क्लीन चिट दे दी हो। मगर, मामले की जांच एससी-एसटी आयोग कर रहा है। प्रो. वेदप्रकाश ने बताया कि इस मामले में अब 28 मई की तारीख सुनवाई के लिए लगी है। उधर, इस बारे में मुलतानी मल कॉलेज के कार्यवाहक प्राचार्य डॉ. दीपक अग्रवाल का कहना है कि प्रबंध समिति ने जांच कराई थी। उसमें प्रो. वेदप्रकाश के आरोपों की पुष्टि नहीं हुई। इसी आधार पर उनको बहाल किया गया है। अब मामला आयोग में है, तो वहां भी उनको निश्चित ही क्लीनचिट मिलेगी। उनपर लगे सभी आरोप निराधार हैं।