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गाजियाबाद: उद्योग व्यापार मंडल ने गृह कर वृद्धि पर जताया विरोध, मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

Ghaziabad: ज्ञापन में गृह कर वृद्धि को अनुचित बताते हुए उसे 10% वार्षिक सीमा में सीमित करने की मांग की गई। व्यापारियों ने चेताया कि इस बढ़ोतरी से गरीबों पर सीधी मार पड़ेगी और सरकार की छवि को नुकसान पहुंचेगा।

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Deepak Sharma
गाजियाबाद: उद्योग व्यापार मंडल ने गृह कर वृद्धि पर जताया विरोध, मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन
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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। गाजियाबाद नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार और बेतहाशा गृह कर वृद्धि के विरोध में आज गाजियाबाद उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अवधेश शर्मा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी के माध्यम से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपा।

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ज्ञापन में शर्मा ने नगर निगम के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों पर जनता का शोषण करने और शासन की साख को गिराने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के प्रयासों से प्रदेश में विकास की जो बुनियाद रखी गई है, उसे नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी और जनप्रतिनिधि कमजोर कर रहे हैं।

नगर निगम पर गंभीर आरोप

ज्ञापन में कहा गया कि गाजियाबाद नगर निगम आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है। नगर निगम के बजट का लगभग 40% हिस्सा भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाता है और शिकायतों के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती। नगर निगम में वर्षों से जमे 70% अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी जड़ें जमाए बैठे हैं और जनता को परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ते।

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गृह कर में बेतहाशा वृद्धि

ज्ञापन के अनुसार, नगर निगम द्वारा पहले एक निजी संस्था से सर्वे कराया गया था, जिसमें यह पाया गया कि शहर के 100 वार्डों में लगभग 50% घरों पर गृह कर नहीं लगा है। इसके बावजूद, इन नई संपत्तियों को कर के दायरे में लाने की बजाय, पहले से ही कर चुकाने वाले नागरिकों पर 16 मई 2025 को एक साथ पांच गुना गृह कर थोप दिया गया।

इसके महज 10 दिन बाद, 26 मई 2025 को बिना सदन की बैठक बुलाए और राज्य सरकार की अनुमति के, इस कर को दोगुना कर दिया गया। ज्ञापन में इसे पूरी तरह "तानाशाही" और "जनविरोधी" करार दिया गया है।

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गरीबों पर सीधी मार

व्यापार मंडल का कहना है कि इस तरह की गृह कर वृद्धि से गरीब और मध्यम वर्ग पर सीधी मार पड़ेगी। मकान और दुकान मालिक किराया बढ़ा देंगे, जिससे किरायेदारों की मुश्किलें बढ़ेंगी और अंततः सरकार की छवि भी खराब होगी।

मांगें और सुझाव

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ज्ञापन में मुख्यमंत्री से अपील की गई है कि गृह कर वृद्धि को वार्षिक 10% की सीमा तक ही सीमित रखा जाए। इसके अलावा, नगर निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की निष्पक्ष जांच कराने और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की गई।

प्रतिनिधिमंडल में शामिल प्रमुख लोग

ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल में रामगोपाल शर्मा, संग्राम सिंह, कपिल सक्सेना, तिलक राज अरोड़ा, दिनेश जमदग्नि, प्रीतपाल सिंह विकल, आर. के. गोयल, विनय, अंकित यादव, शुभम, मनोज गौड़, राजेश भारद्वाज, संजीव गुप्ता, और शेखर समेत कई अन्य व्यापारी नेता प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

निष्कर्ष:

गाजियाबाद में बढ़ते गृह कर और भ्रष्टाचार को लेकर व्यापारिक वर्ग में गहरी नाराजगी है। यह ज्ञापन न केवल नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि आम जनता अब इस अन्याय के खिलाफ मुखर हो रही है। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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