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अधिवक्ताओं का विरोध प्रदर्शन
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गत 6 अक्टूबर 2025 को देश की सर्वोच्च न्यायालय में घटित घटना ने न्यायिक व्यवस्था और संविधान की गरिमा को झकझोर कर रख दिया। इसी घटना के विरोध में शुक्रवार को अखिल भारतीय डॉ. भीमराव अंबेडकर अधिवक्ता काउंसिल ने गाजियाबाद में एकत्र होकर राष्ट्रपति के नाम जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा। अधिवक्ताओं ने इसे “संविधान को कुचलने की साजिश” करार देते हुए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
इकट्ठा हुए अधिवक्ता
काउंसिल के पदाधिकारियों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय जैसे संवैधानिक संस्थान के मुख्य न्यायाधीश के न्यायिक कक्ष में इस तरह का घृणित व दुष्कृत्य कार्य न केवल न्यायपालिका की गरिमा पर आघात है, बल्कि देश की लोकतांत्रिक परंपराओं पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। ज्ञापन में कहा गया कि संविधान की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है और न्यायिक संस्थानों पर हमले को राष्ट्र के खिलाफ साजिश के रूप में देखा जाना चाहिए।इस अवसर पर काउंसिल के वरिष्ठ सदस्यों ने कहा कि संविधान बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की देन है, और इस पर कोई भी आंच राष्ट्र के आत्मसम्मान पर सीधा प्रहार है। अधिवक्ताओं ने कहा कि ऐसी घटनाओं से न्यायपालिका के प्रति जनता का विश्वास कमजोर होता है, इसलिए दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर कड़ी सजा दी जानी चाहिए।
कड़ी कार्रवाई की मांग
ज्ञापन सौंपने के दौरान प्रमुख रूप से नाहर सिंह यादव, विजय पाल राठी (पूर्व अध्यक्ष), रतन सिंह (वरिष्ठ अधिवक्ता), सत्यकेतु (अधिवक्ता), राजेन्द्र चौधरी (पूर्व सचिव), औरंगज़ेब खान, अयूब अली, जयवीर सिंह (पूर्व डीजीसी क्रिमिनल), जितेन्द्र सिंह, राजेन्द्र कसाना, प्रवेंद्र नगर (पूर्व सचिव), राकेश त्यागी काकड़ा (पूर्व अध्यक्ष), देवेंद्र शर्मा (पूर्व अध्यक्ष), रामेश्वर दत्त (वरिष्ठ अधिवक्ता), मनमोहन शर्मा (पूर्व सचिव), गौतम त्यागी, रामपाल कोरी, संतोष कुमार, अतुल शर्मा (पूर्व सचिव), बाबू राम, सुरेश यादव (पूर्व डीजीसी), योगेन्द्र सिंह, गजेन्द्र सिंह (विधि विशेषज्ञ) और विपिन कुमार एडवोकेट सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे।अधिवक्ताओं ने कहा कि जब देश के सर्वोच्च न्यायालय की पवित्रता ही सुरक्षित नहीं, तो आम व्यक्ति का न्याय पर भरोसा कैसे कायम रह सकता है। काउंसिल ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो देशभर के अधिवक्ता आंदोलन की राह अपनाने को मजबूर होंगे।