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Protest : बिजली संकट, बहरामपुर बिजलीघर पर प्रदर्शन

शहर के सिद्धार्थ विहार और कृष्णा नगर बागू इलाकों में कल रात से बिजली आपूर्ति ठप होने के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शुक्रवार रात 10 बजे से बिजली न आने के चलते आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। थक-हारकर लोगों ने बहरामपुर

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Syed Ali Mehndi
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बिजली घर पर विरोध प्रदर्शन

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

शहर के सिद्धार्थ विहार और कृष्णा नगर बागू इलाकों में कल रात से बिजली आपूर्ति ठप होने के कारण लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शुक्रवार रात 10 बजे से बिजली न आने के चलते आम जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। थक-हारकर लोगों ने बहरामपुर बिजली घर पहुंचकर जमकर विरोध प्रदर्शन किया और विद्युत विभाग की लापरवाही पर नाराज़गी जताई।

क्षेत्र में छाया अंधेरा

लोगों का कहना था कि रात से लगातार अंधेरा छाया हुआ है। घरों में न तो मोटर चल रही है और न ही इनवर्टर में चार्ज बचा है। कई परिवारों के लिए पीने का पानी तक जुटाना मुश्किल हो गया है। बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे और बुज़ुर्गों को भीषण गर्मी में बिना पंखे और कूलर के गुज़ारा करना पड़ रहा है।प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि विभाग को समय-समय पर सूचना देने के बावजूद कोई समाधान नहीं किया गया। विद्युत कर्मचारियों ने बहानेबाज़ी कर पल्ला झाड़ लिया, जबकि उपभोक्ता बेहाल हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से लगातार बिजली कटौती की समस्या बढ़ती जा रही है। अक्सर घंटों बिजली गुल रहती है और विभाग के अधिकारी कोई संतोषजनक जवाब नहीं देते।

लोगों ने संभाला मोर्चा

इस दौरान कई महिलाओं ने भी मोर्चा संभाला और अधिकारियों पर सवाल उठाए कि आखिर आम जनता बिजली बिल समय पर चुकाती है तो फिर उन्हें इतनी परेशानी क्यों झेलनी पड़ती है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।गाजियाबाद जैसे विकसित होते शहर में बुनियादी सुविधाओं का इस तरह ठप होना लोगों की नाराज़गी को और भड़काता है। आए दिन बिजली कटौती से लोगों की दिनचर्या प्रभावित हो रही है। खासकर पानी की किल्लत सबसे बड़ी चुनौती बन गई है। जिन घरों में सबमर्सिबल पंप हैं, वे भी बिना बिजली के सूख गए हैं।

सारे दावे हवा हवाई 

स्थानीय निवासियों का कहना है कि विभाग केवल कागज़ी दावे करता है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल उलट है। समय-समय पर करोड़ों की योजनाओं का ऐलान किया जाता है, परंतु परिणाम शून्य रहते हैं। प्रदर्शनकारियों ने दो टूक कहा कि वे अब चुप नहीं बैठेंगे और अपनी आवाज़ प्रशासन तक पहुंचाएंगे।इस बिजली संकट ने एक बार फिर सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर गाजियाबाद जैसे औद्योगिक और आधुनिकता की ओर बढ़ते शहर में लोगों को अब भी अंधेरे में क्यों जीना पड़ रहा है। क्या जनता के धैर्य की परीक्षा लेने वाली यह स्थिति यूं ही जारी रहेगी या फिर प्रशासन ठोस कदम उठाकर राहत देगा—यह बड़ा सवाल है।

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