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पहलवान राखी का आमरण अनशन
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
जिला मुख्यालय पर महिला पहलवान राखी ने 22 अगस्त 2025 से आमरण अनशन शुरू कर समाज में हलचल मचा दी है। राखी का यह कदम केवल व्यक्तिगत न्याय की लड़ाई नहीं, बल्कि उन तमाम महिलाओं के सम्मान और अधिकारों के लिए है जो वर्षों से अन्याय और भेदभाव का सामना कर रही हैं। राखी ने अपने ससुराल वालों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्हें बिना किसी कारण घर से निकाल दिया गया और उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाई गई।
ससुराल पर आरोप
राखी का आरोप है कि उनके पति भुवनेश कुमार, जो मुंबई में नौकरी करते हैं, ने उन्हें धोखा देकर विदेश का रुख कर लिया और संपर्क पूरी तरह से तोड़ दिया। वहीं उनके ससुर, जो उत्तर प्रदेश पुलिस में दारोगा हैं, ने उनके साथ अमानवीय व्यवहार किया और तलाक के लिए दबाव बनाया। लेकिन राखी ने साफ कहा है कि वे तलाक नहीं चाहतीं, बल्कि अपने ससुराल में सम्मानपूर्वक स्वीकार किए जाने की मांग करती हैं।अनशन शुरू करते हुए राखी ने अपनी मांगों की सूची भी सार्वजनिक की। इनमें घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत निष्पक्ष कार्रवाई, पुलिस की जवाबदेही तय करना, महिलाओं के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक माहौल सुनिश्चित करना, न्यायिक प्रक्रिया को तेज और सरल बनाना, महिला सशक्तिकरण के ठोस कदम उठाना और परामर्श केंद्रों में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच जैसी प्रमुख बातें शामिल हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी और लाखों महिलाओं की आवाज को न्याय नहीं मिलता।
धरने पर बैंठी राखी
राखी ने समाज से अपील करते हुए कहा कि यह लड़ाई केवल उनकी नहीं, बल्कि हर उस बहन-बेटी की है जो अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत है। उनका कहना है कि अगर महिलाएं एकजुट होकर खड़ी होंगी, तो किसी भी अन्याय के खिलाफ बड़ी ताकत बन सकती हैं। यही कारण है कि गाजियाबाद जिला मुख्यालय पर शुरू हुआ यह आंदोलन धीरे-धीरे व्यापक समर्थन हासिल कर रहा है। स्थानीय संगठन, सामाजिक कार्यकर्ता और आम नागरिक उनके साथ खड़े हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी राखी के अनशन और उनकी मांगों को लेकर बहस छिड़ गई है।अब तक प्रशासन और पुलिस की ओर से इस मामले में ठोस कदम उठाए जाने की कोई जानकारी नहीं है। राखी ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार नहीं किया गया, तो वे अपने आंदोलन को और तेज करेंगी। उन्होंने कहा कि यह अनशन उनके जीवन का त्याग है, लेकिन अगर इसके जरिए महिलाओं को न्याय और समानता मिलती है तो यह बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा।
महिलाओं की आवाज
गाजियाबाद में शुरू हुआ यह आंदोलन केवल राखी की निजी समस्या का समाधान खोजने के लिए नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज को यह संदेश देता है कि महिलाओं की आवाज़ दबाना अब आसान नहीं होगा। यह अनशन महिलाओं के सम्मान, अधिकार और सुरक्षा की नई परिभाषा लिखने की कोशिश है। राखी पहलवान का साहस और दृढ़ संकल्प आने वाले समय में न केवल गाजियाबाद बल्कि पूरे प्रदेश में महिला आंदोलन को नई दिशा दे सकता है।यह देखना अब महत्वपूर्ण होगा कि प्रशासन और सरकार इस आंदोलन को किस गंभीरता से लेती है। यदि समय रहते राखी की मांगों पर ठोस कार्रवाई की गई तो यह कदम महिला अधिकारों की दिशा में ऐतिहासिक साबित हो सकता है, अन्यथा यह आंदोलन एक बड़े सामाजिक बदलाव का बिगुल बन सकता है।