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पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिया ज्ञापन
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद पैरेंट्स एसोसिएशन ने आरटीई चयन प्रक्रिया में हो रही अनियमितताओं को गंभीर मुद्दा बताते हुए बेसिक शिक्षा विभाग और बीएसए कार्यालय पर पारदर्शिता की भारी कमी का आरोप लगाया है। संगठन का कहना है कि 2025–26 और आगामी 2026–27 सत्र के लिए जिले में संचालित 1871 स्कूलों में से 562 स्कूलों को पोर्टल पर अचानक बंद दिखा दिया गया, जबकि जमीनी जांच में ये स्कूल पूर्व की तरह संचालित पाए गए। एसोसिएशन ने इसे गरीब बच्चों के शिक्षा अधिकार के साथ सीधा खिलवाड़ करार दिया है।
मनमानी और असंगत
आरटीई पोर्टल पर किए गए वार्ड परिवर्तन को भी संगठन ने मनमाना और असंगत बताया। जांच में सामने आया कि कई प्रमुख स्कूलों जैसे डीएवी पब्लिक स्कूल, सीएसएचपी स्कूल, ज्ञानस्थली पब्लिक स्कूल, न्यू जनता पब्लिक स्कूल और ओम सेवीयर्स इंटरनेशनल जैसे संस्थानों को बिना किसी आधिकारिक सूचना के एक वार्ड से दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया। इससे हजारों अभिभावक भ्रमित हुए और कई बच्चों को आरटीई सीटों से वंचित होना पड़ा।एसोसिएशन के मुताबिक ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में भी गरीब अभिभावकों को अनुचित परेशानियों का सामना करना पड़ा। विभाग द्वारा नियुक्त कई सहायकों ने तकनीकी समस्याओं का हवाला देते हुए बड़ी संख्या में फार्म निरस्त कर दिए। कुछ साइबर कैफे संचालकों द्वारा अधिक शुल्क वसूलने की शिकायतें भी सामने आईं। संगठन ने मांग की है कि सभी निरस्त फार्मों की पुनः जांच की जाए और अभिभावकों से दर्ज मोबाइल नंबरों पर ही संपर्क किया जाए।
लॉटरी प्रक्रिया पर सवाल
लॉटरी प्रक्रिया पर भी एसोसिएशन ने सवाल उठाए हैं। कई मामलों में एक ही व्यक्ति के नाम पर दो-दो सीटें चयनित होने जैसी गड़बड़ियों के संकेत मिले हैं, जिसके लिए स्वतंत्र व पारदर्शी जांच की आवश्यकता बताई गई है।संगठन ने विशेष वर्ग—जैसे शारीरिक रूप से विकलांग, बालिकाएं, विधवा माता तथा कैंसर पीड़ित अभिभावकों—को वेरिफिकेशन में प्राथमिकता देने की मांग की है। साथ ही स्कूलों द्वारा अनावश्यक दस्तावेजों की मांग पर रोक लगाने की अपील की है।पैरेंट्स एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री से आरटीई आय सीमा को वर्तमान एक लाख रुपये की जगह तीन लाख रुपये करने तथा शिक्षा सीमा को कक्षा 8 से बढ़ाकर कक्षा 12 तक किए जाने की मांग की है। संगठन का कहना है कि यदि इन अनियमितताओं का समाधान नहीं किया गया, तो आने वाले सत्र 2026–27 में भी हजारों अभिभावकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
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