/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/10/20250910_153938_0000-2025-09-10-15-41-00.png)
शिक्षक संघ का विरोध प्रदर्शन
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षा संघ ने गाजियाबाद जिलाधिकारी कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में बड़ी संख्या में शिक्षक और शिक्षिकाएं शामिल हुए। शिक्षा संघ के पदाधिकारियों ने अपनी पुरानी मांगों को दोहराते हुए कहा कि शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता से मुक्त रखा जाना चाहिए। उनका कहना था कि जिस समय इन शिक्षकों की नियुक्ति हुई थी उस समय टीईटी जैसी कोई शर्त लागू नहीं थी, इसलिए अब इस नियम को उन पर थोपना न्यायसंगत नहीं है।
जोरदार प्रदर्शन
प्रदर्शन का नेतृत्व प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष रविंद्र राणा ने किया। उनके साथ वरिष्ठ उपाध्यक्ष आदेश मित्तल, संयुक्त मंत्री मोहम्मद ग़ालिब और कोषाध्यक्ष दिनेश कुमार भी मंच पर मौजूद रहे। इन नेताओं ने शिक्षकों की समस्याओं को सामने रखते हुए कहा कि प्रदेश के हजारों शिक्षक इस समस्या से जूझ रहे हैं और कई बार सरकार को ज्ञापन देकर मांग उठाई गई है, लेकिन अब तक ठोस समाधान सामने नहीं आया है।शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों का कहना था कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 आने से पहले की नियुक्तियां पूरी तरह वैध थीं और उनमें चयन प्रक्रिया भी पारदर्शी तरीके से की गई थी। उस समय टीईटी की कोई आवश्यकता नहीं थी, इसलिए अब वर्षों बाद इस शर्त को लागू करना शिक्षकों के साथ अन्याय है। इससे न सिर्फ शिक्षकों का भविष्य प्रभावित होगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी अस्थिर होगी।
चेतावनी और ज्ञापन दिया
प्रदर्शन के दौरान शिक्षकों ने सरकार से अपील की कि उनके अनुभव और वर्षों की सेवा को देखते हुए उन्हें टीईटी से मुक्त किया जाए। शिक्षकों का कहना था कि वे पहले से ही लंबे समय से विद्यालयों में शिक्षा की जिम्मेदारी निभा रहे हैं और बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। ऐसे में उन पर अतिरिक्त परीक्षा थोपना उनकी मनोस्थिति और कार्यक्षमता दोनों पर नकारात्मक असर डालेगा।प्रदर्शन स्थल पर मौजूद सैकड़ों शिक्षकों ने नारेबाजी करते हुए अपनी मांगों को जोरदार ढंग से रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर सरकार उनकी बातों पर ध्यान नहीं देती तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। शिक्षक संघ के नेताओं ने चेतावनी दी कि वे आने वाले दिनों में प्रदेशव्यापी आंदोलन की रणनीति भी बना सकते हैं।
शिक्षक समाज का आधार
इस मौके पर जिला अध्यक्ष रविंद्र राणा ने कहा कि शिक्षक समाज का आधार हैं। सरकार को चाहिए कि वह उनकी समस्याओं का समाधान प्राथमिकता से करे। वरिष्ठ उपाध्यक्ष आदेश मित्तल ने कहा कि सरकार बार-बार आश्वासन तो देती है लेकिन ठोस कदम नहीं उठाती। संयुक्त मंत्री मोहम्मद ग़ालिब ने कहा कि अगर पुराने शिक्षकों को टीईटी में बांधा गया तो यह उनके हक का हनन होगा। वहीं, कोषाध्यक्ष दिनेश कुमार ने कहा कि शिक्षक समाज की रीढ़ हैं और सरकार को उनके साथ न्याय करना चाहिए।
जिला मुख्यालय का घेराव
कुल मिलाकर, गाजियाबाद में हुए इस प्रदर्शन ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने से पहले की नियुक्तियों पर नए नियम लागू करना उचित है। शिक्षकों की मांग है कि सरकार उनकी समस्याओं को संवेदनशीलता के साथ सुने और जल्द से जल्द इसका समाधान निकाले।यह स्पष्ट है कि अगर सरकार ने इस मुद्दे पर समय रहते सकारात्मक निर्णय नहीं लिया, तो आने वाले समय में यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है और प्रदेश के शिक्षा तंत्र को प्रभावित कर सकता है।