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पहलवान राखी का आमरण अनशन
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद में चल रहे राखी पहलवान के आमरण अनशन ने प्रशासन और समाज दोनों को गहरे सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। राखी पहलवान का अनशन अब सातवें दिन में प्रवेश कर चुका है, लेकिन अब तक उनकी कोई भी प्रमुख मांग पूरी नहीं हो सकी है। मामला पति-पत्नी के बीच घरेलू विवाद का है, लेकिन जिस तरह यह प्रकरण सार्वजनिक संघर्ष और आमरण अनशन का रूप ले चुका है, उसने इसे सामाजिक न्याय और महिलाओं के सम्मान से जोड़ दिया है।
ससुराल पर गंभीर आरोप
राखी का आरोप है कि उन्हें उनके ससुराल पक्ष ने बिना किसी स्पष्ट कारण के घर से निकाल दिया। उनका कहना है कि यदि उनसे कोई गलती हुई है, तो उसे सामने लाया जाए। राखी ने दो टूक कहा है कि अगर गलती उनकी है और वह माफी के योग्य नहीं, तो वह समाज के सामने तलाक देने को तैयार हैं। लेकिन यदि ससुराल पक्ष उनकी गलती साबित नहीं कर पाता, तो उन्हें सम्मानपूर्वक उनके घर में वापस लिया जाए। यह सीधा-सीधा न्याय और गरिमा का सवाल है।
ससुर की है प्रमुख भूमिका
प्रशासन ने छठे दिन ससुराल पक्ष से बातचीत कराने का प्रयास किया। राखी के पति भुवनेश शर्मा, उनकी मां और जेठ वार्ता के लिए थाने पहुंचे, लेकिन राखी ने साफ कर दिया कि जब तक उनके ससुर, जो घर के मुखिया हैं, बातचीत में शामिल नहीं होंगे, तब तक कोई समाधान संभव नहीं। राखी का मानना है कि परिवार के मुखिया की मौजूदगी के बिना किसी भी निर्णय को टिकाऊ और न्यायसंगत नहीं माना जा सकता। लेकिन ससुर की अनुपस्थिति के कारण वार्ता असफल रही और समस्या जस की तस बनी रही।
पति ने भी लगाए आरोप
दूसरी ओर, राखी के पति भुवनेश शर्मा ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि राखी उनसे मारपीट और अभद्र व्यवहार करती थी। इसी कारण उन्होंने तलाक का केस दायर किया है और वे कोर्ट के फैसले को मानने के लिए तैयार हैं। इस बयान से यह साफ हो जाता है कि विवाद सिर्फ पारिवारिक स्तर तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब कानूनी लड़ाई का रूप भी ले चुका है।राखी का दर्द उनकी बातों से झलकता है। वे कहती हैं, "छह दिन बीत गए लेकिन प्रशासन मेरी एक भी मांग पूरी नहीं कर पाया। यह लड़ाई सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि उन लाखों महिलाओं की है जो अपने ससुराल या समाज में अन्याय का सामना कर रही हैं।" यही कारण है कि उनके समर्थन में कई सामाजिक संगठन और स्थानीय लोग भी आगे आ रहे हैं। महिलाओं के सम्मान और अधिकार की लड़ाई में राखी का संघर्ष धीरे-धीरे सामूहिक स्वरूप लेता जा रहा है।
नहीं हुआ समाधान
प्रशासन और पुलिस की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह चुप्पी मामले को और पेचीदा बना रही है। एक ओर राखी का अनशन लगातार आगे बढ़ रहा है और उनकी तबीयत बिगड़ने की आशंका बनी हुई है, वहीं दूसरी ओर ससुराल पक्ष कानूनी प्रक्रिया का हवाला दे रहा है।सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या प्रशासन दोनों पक्षों को न्यायसंगत समाधान की ओर ले जा पाएगा? क्या राखी पहलवान की सात दिन की भूख हड़ताल और उनकी पीड़ा को सुना जाएगा या यह संघर्ष और लंबा खिंच जाएगा? फिलहाल, हालात यही संकेत दे रहे हैं कि यह विवाद सिर्फ एक परिवार का मामला नहीं रहा, बल्कि महिलाओं के सम्मान और अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक बनता जा रहा है।