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Punishment : 22 कर्मचारियों को अनोखी सज़ा,दो दिन में करनी होगी कार्यालय की रंगाई-पुताई

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (RED) में इन दिनों एक अनोखी सज़ा चर्चा का विषय बनी हुई है। विभाग के अधिशासी अधिकारी द्वारा जारी एक पत्र ने पूरे कार्यालय में हड़कंप मचा दिया है। इस पत्र में विभाग के 22 अधिकारियों और कर्मचारियों को सज़ा के तौर पर कार्यालय की रंगाई

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Syed Ali Mehndi
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विकास भवन जिला मुख्यालय गाजियाबाद

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

ग्रामीण अभियंत्रण विभाग (RED) में इन दिनों एक अनोखी सज़ा चर्चा का विषय बनी हुई है। विभाग के अधिशासी अधिकारी द्वारा जारी एक पत्र ने पूरे कार्यालय में हड़कंप मचा दिया है। इस पत्र में विभाग के 22 अधिकारियों और कर्मचारियों को सज़ा के तौर पर कार्यालय की रंगाई-पुताई करने का आदेश दिया गया है। 

अनोखा आदेश

आदेश के अनुसार, सभी कर्मचारियों को 15 और 16 अक्टूबर 2025 को विभागीय कार्यालय की गैलरी में उपस्थित होकर रंगाई-पुताई का कार्य स्वयं करना होगा।इस सूची में सहायक अभियंता (AE) से लेकर कनिष्ठ अभियंता (JE), लेखा अधिकारी, क्लर्क, चपरासी और ड्राइवर तक शामिल हैं। आदेश पत्र में मुख्य विकास अधिकारी (CDO) गाजियाबाद की बैठक और जिला विकास अधिकारी (DDO) के निर्देशों का हवाला दिया गया है। हालांकि पत्र में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं किया गया है कि आखिर किन कारणों से इन कर्मचारियों को यह अनोखी सज़ा दी गई है। 

सूत्रों के अनुसार 

विभागीय सूत्रों के अनुसार, यह कार्रवाई अनुशासनहीनता या लापरवाही से जुड़ी हो सकती है। कुछ कर्मचारियों का कहना है कि हाल के दिनों में कार्यालय में स्वच्छता और रखरखाव को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों ने कड़ी नाराज़गी जताई थी। संभवतः उसी के चलते यह सज़ा दी गई है ताकि कर्मचारी जिम्मेदारी का एहसास करें और दफ़्तर की साफ-सफाई में सक्रिय भूमिका निभाएं।दूसरी ओर, विभाग के कुछ कर्मचारी इस फैसले को अनुचित बता रहे हैं। उनका कहना है कि दफ़्तर की रंगाई-पुताई जैसे कार्य मजदूरों या ठेकेदारों से करवाए जाने चाहिए, न कि सरकारी अधिकारियों से। वहीं, कई लोग इस कदम को एक “सकारात्मक अनुशासनात्मक प्रयोग” मान रहे हैं, जो कर्मचारियों को स्वच्छता और टीमवर्क का संदेश देता है।

कड़ी नजर 

फिलहाल, गाजियाबाद RED विभाग में यह मामला चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है। 15 और 16 अक्टूबर को कार्यालय में सभी की निगाहें इस बात पर टिकी रहेंगी कि अधिकारी और कर्मचारी किस तरह इस “सज़ा” को अंजाम देते हैं — मजबूरी में या जिम्मेदारी के साथ।इस अनोखी पहल ने प्रशासनिक दायरे में यह सवाल भी खड़ा कर दिया है कि क्या ऐसे “अनुशासनात्मक प्रयोग” कार्यस्थल की कार्यसंस्कृति सुधारने का नया तरीका बन सकते हैं या यह केवल एक असामान्य आदेश भर है।

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