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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
सामाजिक एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए गाजियाबाद में एक विशेष सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन सरदार हरमीत सिंह, प्रबंधक श्री गुरु गोविंद सिंह सभा, बजरिया द्वारा किया गया। कार्यक्रम में एएसपी सिंह ओबरॉय के नेतृत्व में पंजाब में आई भीषण बाढ़ आपदा के समय राहत सामग्री पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभाने वाले मुस्लिम समुदाय के समाजसेवकों और सेवादारों को सम्मानित किया गया।
किया गया सम्मान
समारोह में समाजसेवा की भावना से जुड़े कई प्रमुख नामों को सम्मान पत्र और शॉल भेंट कर सराहना की गई। इनमें जगमोहन कपूर, जसविंदर सिंह (अमन भाई), जसवीर सिंह, कुलविंदर सिंह, प्रितपाल सिंह खोसला, ज्ञानी संत सिंह, पप्पू भाई, हार्जिंदर सिंह, इमरान, रिज़वान, गुलाब सिद्दीकी, इमरान सिद्दीकी, बल्ले सिद्दीकी, तैयब सिद्दीकी, मुरसलीन कुरैशी, जाकिर मेवाती, दानिश खान, माजिद मलिक, हाजी नदीम कुरैशी, तनवीर सहित कई अन्य सेवादार शामिल रहे। इन सभी ने बाढ़ पीड़ितों तक जरूरी सामान जैसे खाने-पीने की वस्तुएं, कपड़े, दवाइयां और दैनिक उपयोग की सामग्री पहुंचाने में अहम योगदान दिया था।
इंसानियत का जज्बा
जब पंजाब में बाढ़ का संकट गहराया तो वहां हजारों परिवार प्रभावित हुए। इस कठिन समय में गाजियाबाद से कई समाजसेवी संगठन और गुरुद्वारा समितियां मदद के लिए आगे आईं। खास बात यह रही कि इस राहत अभियान में मुस्लिम समाज के लोग भी बढ़-चढ़कर शामिल हुए और भाईचारे का संदेश दिया। इन्होंने न केवल राहत सामग्री एकत्र की बल्कि उसे बाढ़ प्रभावित इलाकों तक पहुंचाने में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
सहयोग का हौसला
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि ऐसे सम्मान समारोह समाज में सेवा करने वालों के हौसले को बढ़ाते हैं। गुरुद्वारा प्रबंधक सरदार हरमीत सिंह ने कहा कि सिख धर्म का मूल सिद्धांत है "सरबत दा भला" यानी सबका भला, और यही भावना इस राहत कार्य में दिखी। उन्होंने बताया कि मुस्लिम समुदाय के भाइयों ने यह साबित कर दिया कि इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है।एएसपी सिंह ओबरॉय ने सेवादारों को बधाई देते हुए कहा कि गाजियाबाद जैसे शहरों में सामाजिक सौहार्द की यह मिसाल देशभर के लिए प्रेरणा है। जब लोग धर्म और जाति से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा करते हैं, तभी सच्चे भारत की तस्वीर सामने आती है।
लोगों की प्रतिक्रिया
समारोह में उपस्थित समाज के गणमान्य लोगों और स्थानीय निवासियों ने भी इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि संकट की घड़ी में जब लोग एक-दूसरे के साथ खड़े होते हैं तो समाज और मजबूत होता है। यह सम्मान न सिर्फ उन सेवादारों के प्रयासों को मान्यता देता है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायक संदेश छोड़ता है।गाजियाबाद में आयोजित यह सम्मान समारोह केवल एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह सामाजिक एकता, सौहार्द और इंसानियत का प्रतीक बन गया। इससे यह संदेश साफ है कि चाहे कोई भी धर्म या समुदाय हो, जब भी संकट आता है तो सभी मिलकर एक परिवार की तरह एक-दूसरे की मदद कर सकते हैं। यही हमारी भारतीय संस्कृति की असली ताकत है।