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रामलीला विवाद
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
शहर की सांस्कृतिक पहचान मानी जाने वाली कविनगर रामलीला कमेटी इन दिनों विवादों के घेरे में है। मामला तब गहराया जब कमेटी की कार्यकारिणी ने पूर्व सांसद प्रोफेसर रमेश चंद तोमर को आजीवन सदस्य पद से हटा दिया। इसके बाद पूर्व सांसद ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कमेटी के अध्यक्ष को 20 करोड़ रुपये का मानहानि नोटिस भेज दिया।
धार्मिक उत्सव
रामलीला कमेटी न केवल धार्मिक उत्सव का केंद्र है बल्कि गाजियाबाद की सांस्कृतिक परंपरा से भी गहराई से जुड़ी हुई है। ऐसे में इस प्रकार का विवाद आम नागरिकों और कमेटी के सदस्यों के बीच चर्चा का विषय बन गया है।कमेटी के महामंत्री भूपेंद्र चैपड़ा ने अपने बयान में कहा कि कार्यकारिणी को पूरा अधिकार है कि किसे संरक्षक पद पर रखा जाए और किसे हटाया जाए। उन्हीं के अनुसार, पूर्व सांसद को कार्यकारिणी के निर्णय के आधार पर ही पद से हटाया गया है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कमेटी को अभी तक नोटिस की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। नोटिस की जानकारी उन्हें केवल मीडिया के माध्यम से ही मिली है।
पूर्व सांसद का विरोध
पूर्व सांसद रमेश चंद तोमर का कहना है कि उन्हें बिना किसी कारण और प्रक्रिया का पालन किए कमेटी से हटाया गया है, जिससे उनकी सामाजिक छवि धूमिल हुई है। इसी आधार पर उन्होंने मानहानि का नोटिस भेजा है।रामलीला कमेटी के भीतर यह विवाद केवल व्यक्तिगत मतभेद नहीं बल्कि संस्था की गरिमा और परंपरा पर भी असर डाल सकता है। जिस रामलीला को वर्षों से गाजियाबाद की धार्मिक और सांस्कृतिक धड़कन माना जाता रहा है, उसमें इस प्रकार का विवाद स्वाभाविक रूप से लोगों की भावनाओं को प्रभावित करता है।
आपसी समाधान की उम्मीद
विशेषज्ञों का मानना है कि इस विवाद का समाधान आपसी संवाद और कानूनी प्रक्रिया से ही संभव है। यदि मामला अदालत तक पहुंचता है, तो इसका असर न केवल कमेटी की कार्यशैली पर पड़ेगा बल्कि रामलीला जैसे बड़े आयोजन की छवि भी प्रभावित होगी।गाजियाबाद में हर साल हजारों की संख्या में लोग रामलीला देखने आते हैं। ऐसे में यह विवाद आयोजनों की तैयारियों और व्यवस्था पर भी असर डाल सकता है। नागरिकों को उम्मीद है कि दोनों पक्ष आपसी सहमति और बातचीत से इस मामले का समाधान निकालेंगे, ताकि रामलीला जैसी ऐतिहासिक परंपरा की गरिमा बनी रहे।