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फाइल फोटो
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
श्री गुरु तेग़ बहादुर जी का जीवन त्याग, बलिदान और मानवता की रक्षा का प्रतीक है। 350वें शहीदी पर्व के अवसर पर आयोजित शोभायात्रा ने हमें उनके जीवन संदेशों की याद दिलाई। हापुड़ में आयोजित नगर कीर्तन में भारी संख्या में संगत ने भाग लिया और गुरुजी की महान शहादत को नमन किया।
अनुकरणीय जीवन
गुरु तेग़ बहादुर जी ने धर्म और मानवाधिकार की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। जब मुग़ल साम्राज्य की धार्मिक असहिष्णुता बढ़ रही थी, तब गुरुजी कश्मीरी पंडितों और अन्य कमजोर वर्गों की रक्षा के लिए खड़े हुए। वे जानते थे कि इसका परिणाम उनकी शहादत होगी, फिर भी उन्होंने सत्य और न्याय का मार्ग चुना।आज की दुनिया में जहाँ मानवाधिकार के उल्लंघन की घटनाएँ बढ़ रही हैं, गुरुजी की शिक्षाएँ और भी प्रासंगिक हो जाती हैं। उनका बलिदान केवल सिख धर्म तक सीमित नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणास्रोत है।
भव्य शोभा यात्रा
शोभायात्रा के दौरान पाँच प्यारों की अगुवाई में गुरु ग्रंथ साहिब की पालकी और गुरु साहिब के शस्त्रों का दर्शन कराया गया। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि हमें गुरुजी के आदर्शों को जीवन में उतारना चाहिए।गुरु तेग़ बहादुर जी की शहादत हमें सिखाती है कि धर्म की रक्षा के लिए बड़े से बड़ा बलिदान देना पड़ सकता है। उनकी याद केवल उत्सव नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत है कि हम सभी न्याय, सत्य और मानवता की राह पर चलें।