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शब ए बारात
गाजियाबाद में शब ए बारात के मौके पर मुस्लिम समुदाय ने रात भर इबादत की ऐसे में आपसी भाईचारा अमन और वतन परस्ती के लिए विशेष रूप से दुआएं की गई।
रमजान की तरह बेहद पाक है शब ए बारात
इस्लाम में रमजान की तरह ही माह-ए-शाबान को भी बेहद पाक और मुबारक महीना माना जाता है. शाबान इस्लामिक कैलेंडर का 8वां महीना है, जिसकी 14वीं और 15वीं दरमियानी रात को मुसलमान शब-ए-बरात का त्योहार मनाते हैं. मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए शब-ए-बरात खास त्योहारों में एक है. इस दिन लोग विशेषकर अल्लाह की इबादत करते हैं. ऐसा माना जाता है कि शब-ए-बारात की रात की गई इबादत का सवाब बहुत ज्यादा मिलता है।
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हिसाब किताब की है रात
शब-ए-बारात पर मुसलमान पूरी रात जागकर प्रार्थना करते हैं. महिलाएं घर पर रहकर प्रार्थना करती हैं तो वहीं पुरुष मस्जिद जाकर प्रार्थना करते हैं. साथ ही लोग अपने गुनाहों की माफी भी मांगते हैं. इस दिन रोजा रखनेऔर इनायत की रात शब -ए-बरात की रात को मुसलमान क्षमा और प्रार्थना करते हैं, इसलिए इसे फजीलत की रात मानी जाती है.
क्या है फजीलत
आइए जानते हैं शब-ए-बारात मुसलमानों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और इस रात मुसलमान क्या करते हैं? वहीं शिया मुसलमानों का मानना है कि 12वें इमाम मुहम्मद अल महदी की पैदाइश 15 शाबान हो हुई थी. इसलिए शब-ए-बारात मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि शब-ए-बारात की रात सभी गुनाहों की माफी मिल जाती है.
इसलिए इस पाक रात में मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हैं और गुनाहों से तौबा करते हैं.सुन्नी मुसलमानों के मुताबिक, अल्लाह शब-ए-बारात की रात नर्क में यातनाएं झेल रहे मुसलमानों को आदाज करते हैं. इसलिए शब-ए-बारात पर लोग अपने मृत पितरों के कब्रिस्तान जाकर साफ-सफाई करते हैं, फूल चढ़ाते हैं, अगरबत्ती जलाते हैं और प्रार्थना करते हैं.
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