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महंत महाराज के प्रवचन
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गुलमोहर एनक्लेव स्थित श्री शिव बालाजी धाम मंदिर में श्री हरिनाम संकीर्तन का आयोजन हुआ, जिसमें श्रीकृष्ण की लीलाओं का गहन वर्णन किया गया। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भक्ति और आध्यात्मिकता के भाव को जाग्रत करना था। संकीर्तन के दौरान आनंदमय मुरली मोहन ने कहा कि श्रीकृष्ण की लीलाएं भक्त और भगवान के बीच प्रेम और समर्पण की भावना को उजागर करती हैं। माखन चुराना, गोपियों की मटकी फोड़ना, ग्वालों संग गाय चराना और बंसी बजाना जैसी लीलाएं उनकी माधुर्य भावनाओं का परिचायक हैं, जो ब्रजवासियों को आनंद और प्रेम से भर देती हैं।
श्री कृष्ण की लीलाएं
वहीं पूतना वध, सकटासुर वध, ब्रह्मा मोह लीला और इन्द्र का अहंकार तोड़ना श्रीकृष्ण की ऐश्वर्य लीलाओं को दर्शाता है। गोवर्धन पर्वत को एक अंगुली पर उठाकर इन्द्र की पूजा को त्यागने और गिरिराज पूजन की परंपरा शुरू करने की घटना उनकी दिव्यता का प्रमाण है। भागवत गीता की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें जीवन के प्रत्येक पहलू की व्याख्या है, जो आत्मविश्वास और मार्गदर्शन प्रदान करती है।
व्रत से मोक्ष तक
एकादशी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि व्रत से पापों का क्षय होता है और मोक्ष की प्राप्ति संभव होती है। संकीर्तन में हरे कृष्ण महामंत्र का सामूहिक जाप किया गया और आध्यात्मिक चर्चा के माध्यम से भक्तों को जीवन में भक्ति के महत्व का बोध कराया गया। कार्यक्रम में हरिनाम की महिमा, नामजप और अंत में प्रसाद वितरण किया गया। इस आयोजन में कई श्रद्धालुओं ने भाग लिया और भक्ति भाव से ओतप्रोत वातावरण बना रहा। नियमित रूप से इस्कॉन टेम्पल राजनगर द्वारा आयोजित किए जा रहे इस संकीर्तन ने सोसायटी में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया है। कार्यक्रम में श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने सिद्ध कर दिया कि भक्ति आज भी जनमानस में जीवंत है।