Advertisment

Religious : तप: आत्मा-निर्मलता की महान साधना — सुभद्र मुनि जी का उद्बोधन

श्री एस.एस. जैन सभा, कवि नगर के तत्वावधान में आयोजित एक विशेष आध्यात्मिक सभा में उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव श्री सुभद्र मुनि जी महाराज ने तप की महिमा पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “तप आत्मा की निर्मलता, उज्ज्वलता और कर्मबंधन से मुक्ति की

author-image
Syed Ali Mehndi
20250719_164333_0000

कार्यक्रम

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

श्री एस.एस. जैन सभा, कवि नगर के तत्वावधान में आयोजित एक विशेष आध्यात्मिक सभा में उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव श्री सुभद्र मुनि जी महाराज ने तप की महिमा पर गहन प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “तप आत्मा की निर्मलता, उज्ज्वलता और कर्मबंधन से मुक्ति की महान साधना है।” गुरुदेव ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्व के सभी धर्मों में तप को एक केंद्रीय स्थान प्राप्त है, और कोई भी धर्म ऐसा नहीं है जिसमें तप की व्याख्या या उसका महत्व न बताया गया हो।

मूल उद्देश्य आत्मज्ञान 

गुरुदेव सुभद्र मुनि जी ने कहा कि मानव जीवन का मूल उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है, जो दुर्लभ और कठिन है। उन्होंने जीवन के चार महत्वपूर्ण स्तंभों — समय, सत्ता, संपत्ति और शरीर — की नश्वरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि ये सब अस्थायी हैं, जबकि धर्म, तप, त्याग, शालीनता और शिष्टाचार जैसे गुण जीव के साथ जन्म-जन्मांतर तक रहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि परमात्मा को पाने के लिए ज्ञान, तप, ध्यान और सेवा चारों मार्ग महत्वपूर्ण हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी विशेषता है।सेवा को उन्होंने परम धर्म बताया और कहा कि सेवा में अहिंसा का साक्षात स्वरूप विद्यमान है। जब कोई व्यक्ति किसी और को सुख देने के लिए अपना सुख त्यागता है, तो वही तप बन जाता है। किसी के कष्ट में अपनत्व और करुणा का भाव रखना ही सच्चा ध्यान है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को सेवा भावना को जीवन का आधार बनाने की प्रेरणा दी।

तप साधना संयम 

इस अवसर पर अन्य संतों — श्री अमित मुनि जी, श्री विकास मुनि जी, श्री वसंत मुनि जी, श्री ऋषभ मुनि जी तथा श्री सौरव मुनि जी — ने भी अपने विचार व्यक्त किए। सभी ने तप, साधना, संयम और नैतिक मूल्यों की आवश्यकता पर बल दिया। सभा के दौरान श्री जैन धर्म स्थानक सभा के अध्यक्ष श्री जे.डी. जैन ने बताया कि श्रावक नरेश जैन ने "पोशाध" नामक आठ दिवसीय तप पूर्ण किया, वहीं श्रीमती मेमू देवी जैन ने 31 आयम्बिल तप की कठिन साधना पूर्ण की। श्री संघ की ओर से इन तपस्वियों का अभिनंदन करते हुए तप सम्मान समारोह का आयोजन किया गया।

गुरुजनों का आर्शीवाद 

कार्यक्रम में कार्यकारी अध्यक्ष घनश्याम जैन तथा महामंत्री सुनील जैन की सक्रिय भूमिका रही। मंच संचालन भी सुनील जैन ने ही कुशलता से किया। सभा में डॉ. अतुल कुमार जैन सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु एवं भक्तगण उपस्थित रहे और गुरुदेवों का सान्निध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त किया।इस आयोजन ने जैन धर्म की तप परंपरा और उसकी सामाजिक, आध्यात्मिक उपयोगिता को पुनः रेखांकित किया तथा लोगों को आत्मकल्याण के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा दी।

Advertisment

Advertisment
Advertisment