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Religious : क्या योगीराज में जैन मंदिर होगा नीलाम,बैंक ने जारी की नीलामी की तारीख

कवि नगर स्थित जैन धर्म स्थानक को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 12 सितंबर को इस धार्मिक स्थल की ई-नीलामी की तिथि घोषित किए जाने के बाद स्थानकवासी जैन समाज में गहरी चिंता और आक्रोश है। मामला इस प्रकार सामने आया है

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Syed Ali Mehndi
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जैन समाज में आक्रोश

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता

कवि नगर स्थित जैन धर्म स्थानक को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पंजाब नेशनल बैंक द्वारा 12 सितंबर को इस धार्मिक स्थल की ई-नीलामी की तिथि घोषित किए जाने के बाद स्थानकवासी जैन समाज में गहरी चिंता और आक्रोश है। मामला इस प्रकार सामने आया है कि वर्ष 2012 में एक सीवीएस स्टील कंपनी ने बैंक से 10 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। कंपनी के मालिक मिस्टर चनना बताए जा रहे हैं। इस ऋण के लिए गारंटी के रूप में जिस संपत्ति के दस्तावेज जमा कराए गए, वे कथित तौर पर कवि नगर स्थित भूखंड संख्या केबी-46 पर निर्मित जैन धर्म स्थानक के थे। कंपनी डिफॉल्टर घोषित हो चुकी है, और अब बैंक ने गारंटी को उत्तरदायी मानते हुए ई-नीलामी की कार्यवाही शुरू कर दी है।

जैन समाज की आस्था पर चोट

गौरतलब है कि यह स्थानक पिछले 35 वर्षों से अधिक समय से गाजियाबाद के जैन समाज का आस्था केंद्र है। यहां प्रतिदिन धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं और श्रद्धालु पूरे भारतवर्ष से धर्मलाभ लेने पहुंचते हैं। इस समय भी उत्तर भारतीय प्रवर्तक पूज्य सुभद्र मुनि महाराज और पूज्य अमित मुनि महाराज के सानिध्य में चातुर्मास चल रहा है। जुलाई माह से आरंभ हुए इस चातुर्मास में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु प्रवचन, णमोकार मंत्र का जाप, सामायिक, संस्कार शिक्षा और धर्म सभाओं में भाग ले रहे हैं।स्थानक में एक विशाल प्रवचन हॉल, जैन धर्मग्रंथों से सुसज्जित उत्कृष्ट लाइब्रेरी और धार्मिक आयोजनों के लिए समुचित व्यवस्था है। यही नहीं, यहां णमोकार मंत्र की विशेष स्थापना की गई है, जो जैन समाज के लिए अत्यंत पवित्र मानी जाती है। इस स्थानक से जुड़ी आस्था केवल गाजियाबाद ही नहीं बल्कि संपूर्ण भारत के जैन समाज से है।

सवालों के घेरे में बैंकिंग प्रक्रिया

मामले ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। धार्मिक स्थल को किसी भी बैंक में गिरवी रखना कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टियों से संभव नहीं है। ऐसे में यह समझ से परे है कि लगभग 12 वर्ष पूर्व बैंक ने इस स्थानक के मूल दस्तावेज किस आधार पर स्वीकार किए। जब बैंक ने भौतिक सत्यापन किया होगा तो स्पष्ट दिखा होगा कि भवन धार्मिक गतिविधियों के लिए प्रयुक्त हो रहा है। फिर भी इसे व्यावसायिक संपत्ति मानकर गारंटी स्वीकार करना गहरी शंका उत्पन्न करता है।वैल्यूएशन रिपोर्ट में भी यह उल्लेख होना चाहिए था कि संपत्ति एक धार्मिक स्थल है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इस स्थिति से प्रतीत होता है कि या तो बैंक अधिकारियों की गंभीर लापरवाही हुई है या फिर जानबूझकर किसी षड्यंत्र के तहत धार्मिक स्थल को गिरवी दिखाया गया।

समाज में गहरी नाराजगी

जैन समाज इस पूरे घटनाक्रम को अपनी आस्था पर कुठाराघात मान रहा है। धर्मस्थल की नीलामी की बात मात्र से ही श्रद्धालुओं में आक्रोश और चिंता का माहौल है। समाज के लोगों का कहना है कि किसी भी परिस्थिति में धार्मिक स्थल को बैंक द्वारा नीलाम करना न केवल अनुचित है बल्कि धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कदम है।

आगे का रास्ता

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अब यह देखना होगा कि जैन समाज और प्रशासन इस विवाद का समाधान किस प्रकार निकालते हैं। एक ओर बैंक कानूनी प्रक्रिया का हवाला देकर नीलामी करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर समाज का मानना है कि धार्मिक स्थल को गिरवी रखना ही अवैध है, अतः ई-नीलामी स्वतः निरस्त होनी चाहिए।यह मामला न केवल गाजियाबाद बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है। यदि धार्मिक स्थल को वाणिज्यिक लेनदेन में शामिल किया गया तो यह आस्था और विश्वास दोनों पर प्रश्नचिह्न होगा। सरकार और न्यायालय को चाहिए कि इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेकर जैन समाज की भावनाओं और संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप निर्णय सुनिश्चित करें।

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