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गाजियाबाद नगर निगम द्वारा डीएम सर्कल रेट के हिसाब से हाउस टैक्स लगाने पर विवाद हो रहा है, क्योंकि यह प्रस्ताव बोर्ड बैठक में पास नहीं हुआ। पुराने टैक्स के मुकाबले चार गुना बिल आने से लोग परेशान हैं और इसका विरोध कर रहे हैं। जिले की तमाम RWA इस मामले को लेकर एक मंच पर विरोध के लिए इकट्ठा हो गई हैं और फैसला लिया गया है कि तीन चरणों में इसका विरोध किया जाएगा।
ये है मामला
गाजियाबाद नगर निगम ने नई के साथ ही पुरानी संपत्तियों पर डीएम सर्कल रेट के हिसाब से हाउस टैक्स लगा दिया है। खास बात यह है कि निगम की बोर्ड बैठक में यह प्रस्ताव पास भी नहीं हुआ। कुछ पार्षदों को छोड़ दिया जाए तो कोई इसका समर्थन भी नहीं कर रहा। मेयर सुनीता दयाल ने कहा कि इसको लेकर नगर आयुक्त और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की जाएगी। पहले कितना टैक्स लगता था और डीएम सर्कल रेट के हिसाब से कितना लगेगा, इस पर चर्चा की जाएगी। लेकिन शासन से अनुमति लेकर नगर निगम ने चार गुना चैक्स बढ़ाकर लोगों के घरों पर बिल भेजने का काम भी शुरू कर दिया।
फैसले के खिलाफ RWA ने खोला मोर्चा
नगर निगम के इस फैसले के खिलाफ जिले की तमाम आरडब्लूए एक मंच पर आ गई हैं और उन्होंने निगम के इस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोलने का ऐलान कर दिया है। पता चला है कि शनिवार को गाजियाबाद आरडब्लूए के अध्यक्ष कर्नल टीपीएस त्यागी के नेतृत्व में जिले की सभी आरडब्लूए के पदाधिकारियों की एक जूम मीटिंग हुई जिसमें कई दर्जन पदाधिकारी मौजूद रहे। लंबी चर्चा के बाद तय किया गया है कि तीन चरणों में नगर निगम के इस फैसले का विरोध किया जाएगा।
विरोध का पहला चरण
जूम बैठक में तय हुआ है कि पहले चरण में आरडब्लूए के सभी पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को प्रेस से मुखातिब होकर इस फैसले का विरोध जताने के साथ-साथ मीडिया के माध्यम से फैसले को वापस लेने का अनुरोध करेगा। ताकि निगम इस फैसले पर दोबारा से विचार कर सके।
विरोध का दूसरा चरण
पहले चरण से यदि बात नहीं बनती है तो दूसरे चरण में पदाधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल इस मुद्दे पर निगम अफसरों को लिखित विरोध जताने के लिए एक ज्ञापन देकर फैसला वापस लेने और इसमें संशोधन की मांग करेगा जबकि इसी दौरान जिले के जनप्रतिनिधियों से भी मुलाकात करके इस फैसले का विरोध जताएगा।
विरोध का तीसरा चरण
टैक्स बढ़ोतरी के निगम के फैसले के विरोध में तीसरा फैसला थोड़ा आक्रामक होगा। जिसमें धरना-प्रदर्शन सहित अन्य कवायदें भी की जाएंगी। और तीसरा चरण तब तक चलेगा, जब तक कि निगम अपना फैसला वापस नहीं ले लेता या उसमें लोगों की सहूलियत के हिसाब से बदलाव नहीं कर लेता।