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फाइल फोटो
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के अंतर्गत जिले में बच्चों के दाखिले की स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद अब तक केवल 44% बच्चों का ही दाखिला हो पाया है, जबकि चयनित 3306 बच्चों में से 2727 बच्चों को अब तक किसी भी मान्यता प्राप्त स्कूल में प्रवेश नहीं मिला है।
गंभीर मामला
बड़ी चिंता की बात यह है कि कई नामचीन निजी स्कूल प्रशासन के आदेशों की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं। अभिभावकों को हर बार कोई न कोई तकनीकी बहाना बताकर वापस भेजा जा रहा है। यह रवैया प्रशासन के लिए भी शर्मनाक बनता जा रहा है।10 दिन पहले जिला विकास अधिकारी की अध्यक्षता में ऐसे स्कूलों के साथ बैठक की गई थी, जिनमें दाखिला नहीं हुआ था। उन्हें दो दिन के अंदर सभी बच्चों का दाखिला सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन बैठक के बाद भी कुछ खास फर्क नहीं पड़ा। न तो स्कूल अधिकारी गंभीरता दिखा रहे हैं और न ही प्रशासन की सख्ती दिखाई दे रही है।
शासन की लापरवाही
बेसिक शिक्षा विभाग के जिला समन्वयक डॉ. राकेश कुमार ने बताया कि कई स्कूल हर साल नियमों का उल्लंघन करते हैं, जिनकी रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति होती है। स्कूलों की मान्यता रद्द करने की संस्तुति भी की जाती है, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जाता।जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव ने कहा कि अभिभावकों की शिकायतों को गंभीरता से लिया जा रहा है और हर बच्चे का दाखिला सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है।
अंधकार में भविष्य
वही गरीब बच्चों का भविष्य अंधकार की ओर जाता हुआ नजर आ रहा है क्योंकि जिस तरह से स्कूलों की मनमानी चल रही है उसको देखकर साफ तौर पर कहा जा सकता है कि स्कूल अब बिजनेस हब बन चुके हैं जहां शिक्षा नहीं पैसे को अहमियत दी जाती है।
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