Advertisment

RTE : डीपीएस सहित 6 बड़े स्कूलों की होगी मान्यता रद्द

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने के दायित्व से बचने वाले निजी स्कूलों पर अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिला समन्वयक आरटीई राकेश कुमार ने बताया कि कई बार चेतावनी और नोटिस देने के बावजूद छह निजी स्कूलों

author-image
Syed Ali Mehndi
Untitled design_20250627_094100_0000

शिक्षा का अधिकार अधिनियम

गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता 

Advertisment

शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को शिक्षा देने के दायित्व से बचने वाले निजी स्कूलों पर अब प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है। जिला समन्वयक आरटीई राकेश कुमार ने बताया कि कई बार चेतावनी और नोटिस देने के बावजूद छह निजी स्कूलों ने आरटीई के प्रावधानों के अंतर्गत एक भी बच्चे को प्रवेश नहीं दिया, जबकि मान्यता प्राप्त हर स्कूल के लिए यह अनिवार्य है कि वह कुल सीटों का 25 प्रतिशत आरक्षित वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा के लिए प्रदान करें।

 गरीब बच्चों को नहीं दिया दाखिला

जिन स्कूलों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है, उनमें दिल्ली पब्लिक स्कूल मेरठ रोड, दिल्ली पब्लिक स्कूल लोनी रोड (साहिबाबाद), द श्री राम यूनिवर्सल स्कूल (टीला मोड़, लोनी), सेठ आनंदराम जयपुरिया पब्लिक स्कूल (वसुंधरा), जीडी गोयंका पब्लिक स्कूल (राजनगर एक्सटेंशन), सीपी आर्य पब्लिक स्कूल (स्वर्ण जयंतीपुरम) और शंभूदयाल ग्लोबल स्कूल (दयानंद नगर) शामिल हैं। इन सभी स्कूलों को कई बार लिखित नोटिस भेजे गए, मगर उसके बावजूद उन्होंने शिक्षा का अधिकार अधिनियम का पालन नहीं किया।

Advertisment

बीएसए के कड़े तेवर

बेसिक शिक्षा अधिकारी ओपी यादव ने कहा कि इन स्कूलों की मान्यता रद्द करने के लिए बेसिक शिक्षा परिषद को पत्र लिखा जा चुका है और प्रक्रिया जल्द पूरी कर ली जाएगी। अधिकारी ने यह भी स्पष्ट किया कि भविष्य में कोई भी स्कूल यदि आरटीई के नियमों की अनदेखी करता है तो उसके खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। गौरतलब है कि आरटीई के तहत इस वर्ष चार चरणों में लॉटरी के माध्यम से कुल 63,006 बच्चों का चयन हुआ, लेकिन अब तक केवल 3,272 बच्चों को ही स्कूलों में प्रवेश मिला है। वहीं, 3,034 बच्चों के अभिभावक अभी तक स्कूलों और विभाग के चक्कर काटने को मजबूर हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कई स्कूल न केवल आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं, बल्कि गरीब बच्चों के शिक्षा के अधिकार को भी बाधित कर रहे हैं।

शिक्षा विभाग एक्शन में 

Advertisment

शासन की ओर से लगातार यह प्रयास किया जा रहा है कि शिक्षा सभी के लिए समान रूप से सुलभ हो। इसके बावजूद जब नामचीन स्कूल शिक्षा के अधिकार कानून की अवहेलना करते हैं, तो इससे सरकारी योजनाओं की साख पर भी सवाल उठता है। इसलिए अब शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाते हुए ऐसे स्कूलों की मान्यता रद्द करने का रास्ता चुना है, ताकि अन्य स्कूलों को भी एक स्पष्ट संदेश मिल सके।यह कार्रवाई न केवल शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देगी, बल्कि गरीब और वंचित वर्ग के बच्चों को उनका हक दिलाने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। अब देखने वाली बात होगी कि शिक्षा विभाग की यह सख्ती आने वाले समय में निजी स्कूलों के रवैये में कितना बदलाव लाती है।

 

Advertisment
Advertisment