गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
गृहकर (हाउस टैक्स) में हालिया तीन गुना वृद्धि के विरोध में गाजियाबाद की प्रमुख सिविल सोसाइटी संस्थाओं ने कड़ा रुख अपनाया है। आरडब्ल्यूए फेडरेशन गाजियाबाद, फ्लैट ओनर फेडरेशन, लाइन पार आरडब्ल्यूए फेडरेशन और कोरवा-यूपी (कोंफेडरेशन ऑफ आरडब्ल्यूए - उत्तर प्रदेश) ने एकजुट होकर नगर निगम के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है।
हाउस टैक्स वृद्धि अप्रत्याशित
सिविल सोसाइटी ऑफ गाजियाबाद के चेयरमैन कर्नल तेजेन्द्र पाल त्यागी ने कहा कि यह वृद्धि न केवल अप्रत्याशित है, बल्कि नियम और परंपरा के भी विरुद्ध है। उन्होंने कहा, "जब सुविधाएं पूरी नहीं हैं, तो गृहकर में इतनी बड़ी वृद्धि करना जनहित के विरुद्ध है। यह स्थिति नागरिकों के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी है।" उन्होंने मांग की कि गृहकर की वृद्धि अधिकतम 10% तक सीमित की जाए और रिबेट (छूट) की अंतिम तिथि को 30 जून से बढ़ाकर 30 सितंबर किया जाए।
30 जून तक हो निस्तारण
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 30 जून तक कोई निर्णय नहीं लिया गया, तो शहरवासी आंदोलन करने को बाध्य होंगे।सिविल सोसाइटी ने 15वें वित्त आयोग के प्रावधानों का भी हवाला दिया, जिसके तहत शहरी स्थानीय निकायों को केंद्र सरकार द्वारा दो भागों में अनुदान दिया जाता है – 80% मूल अनुदान और 20% प्रदर्शन अनुदान। प्रदर्शन अनुदान के लिए नगर निगम को उपलब्ध कराई गई सुविधाओं की पारदर्शिता जरूरी है, जैसे कि उन्हें समाचार पत्रों में प्रकाशित कराना। सिविल सोसाइटी का आरोप है कि नगर निगम न तो पारदर्शिता सुनिश्चित कर पाया और न ही मूलभूत सुविधाएं जैसे 24x7 पानी की सप्लाई और वैज्ञानिक कूड़ा प्रबंधन।
अतिरिक्त बोझ गलत
सोसायटी का तर्क है कि जब नगर निगम प्रदर्शन अनुदान प्राप्त करने की शर्तें भी पूरी नहीं कर पा रहा, तो करदाताओं पर अतिरिक्त बोझ डालना अनुचित है। उन्होंने सुझाव दिया कि यह अनुदान जनता की सुविधा के लिए खर्च किया जाना चाहिए, न कि कर दरों को बढ़ाने के लिए।बैठक के दौरान नगर आयुक्त ने सिविल सोसाइटी की आपत्तियां गंभीरता से सुनीं और बताया कि हाउस टैक्स की अंतिम तिथि को 30 सितंबर तक बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। साथ ही, गृहकर वृद्धि को लेकर प्राप्त आपत्तियों और सुझावों को राज्य सरकार को भेजा जाएगा। नगर आयुक्त ने यह भी स्पष्ट किया कि वृद्धि 3% नहीं, बल्कि औसतन 1.75% हुई है।
10% से अधिक ना हो वृद्धि
हालांकि, सिविल सोसाइटी इससे संतुष्ट नहीं दिखी। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता सिर्फ 10% तक की वृद्धि ही स्वीकार करेगी, यानी यदि बिल 1000 रुपये का है तो अधिकतम 100 रुपये की वृद्धि ही वाजिब मानी जाएगी।इस पूरे प्रकरण में गाजियाबाद की नागरिक चेतना और स्थानीय संगठनों की सक्रियता एक बार फिर सामने आई है। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन जनभावनाओं को समझते हुए संतुलित और न्यायसंगत निर्णय लेगा, ताकि शहर के नागरिकों का भरोसा बना रहे।