गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता। हाल ही में आए तेज़ तूफ़ान के बाद संजय नगर सेक्टर 23 फ्री होल्ड क्षेत्र के निवासियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। क्षेत्र में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बाधित रही, जिससे लोगों को भीषण गर्मी में बिना सुविधा के दिन गुजारना पड़ा। हैरानी की बात यह रही कि जहाँ शहर के अन्य हिस्सों में बिजली आपूर्ति रात या अगली सुबह तक बहाल कर दी गई, वहीं इस क्षेत्र में बिजली विभाग के कर्मचारी पूरी तरह नदारद रहे।
संपर्क के तमाम प्रयास विफल, अधिकारी रहे 'स्विच ऑफ'
क्षेत्रवासियों ने बताया कि कई बार संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन सभी के फ़ोन बंद मिले। इससे न तो फॉल्ट की सही पहचान हो सकी और न ही किसी प्रकार की मरम्मत शुरू हो पाई। पूरे दिन क्षेत्र अंधेरे और पानी की कमी से जूझता रहा।
व्यापारियों को भारी नुकसान, जनजीवन अस्त-व्यस्त
बिजली आपूर्ति बाधित होने से सिर्फ घरेलू जीवन ही नहीं, बल्कि व्यापारिक गतिविधियाँ भी बुरी तरह प्रभावित हुईं। दुकानदारों ने बताया कि दूध, आइसक्रीम, चॉकलेट जैसी सामग्री खराब हो गई, जिससे लाखों रुपए का नुकसान हुआ। स्थानीय निवासी और व्यापारी वर्ग विभाग की इस लापरवाही से बेहद नाराज़ हैं।
'विकसित क्षेत्र' के साथ सौतेला व्यवहार?
यह स्थिति तब और चिंताजनक हो जाती है जब यह जानकर कि संजय नगर सेक्टर 23 एक विकसित और फ्री होल्ड क्षेत्र है, फिर भी यहां विभाग की उपेक्षा देखने को मिली। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह जानबूझकर किया गया सौतेला व्यवहार प्रतीत होता है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या कुछ क्षेत्रों को जानबूझकर उपेक्षित किया जा रहा है?
क्षेत्रवासियों की तीन प्रमुख माँगें:
क्षेत्र के लोगों ने प्रशासन और सरकार से तीन अहम माँगें रखी हैं:
- लापरवाही की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
- जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर कड़ी कार्यवाही की जाए।
- भविष्य की आपात स्थितियों के लिए प्रभावी कार्य योजना बनाई जाए।
प्रशासन से जवाबदेही की अपेक्षा
क्षेत्रवासियों को उम्मीद है कि समाचार के माध्यम से यह समस्या प्रशासन और विद्युत विभाग के संज्ञान में आएगी। साथ ही, विभाग के कर्मचारी भविष्य में अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए आम जनता को ऐसी समस्याओं से बचाने के लिए गंभीर कदम उठाएंगे।
एक स्थानीय निवासी ने बताया कि सरकार से हमारा विश्वास अभी भी बना हुआ है, पर विभाग की यह लापरवाही उसे कमजोर करती है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए अब यह आवश्यक है कि प्रशासन बिना देर किए इस दिशा में ठोस कदम उठाए और नागरिकों को यह भरोसा दिलाए कि उनकी समस्याएं न केवल सुनी जा रही हैं, बल्कि उनका समाधान भी प्राथमिकता पर किया जाएगा।