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Scam: करोड़ों के भ्रष्टाचार का खुलासा, पूर्व अधिशासी अधिकारी पर शिकजा

जनपद की लोनी नगर पालिका परिषद एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की चपेट में है। इस बार मामला करोड़ों रुपये के घोटाले का है, जिसमें नगर पालिका की पूर्व अधिशासी अधिकारी प्रथम दृष्टया दोषी पाई गई हैं। मेरठ मंडलायुक्त द्वारा की गई जांच में यह बात

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Syed Ali Mehndi
लोनी नगर पालिका

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गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

जनपद की लोनी नगर पालिका परिषद एक बार फिर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों की चपेट में है। इस बार मामला करोड़ों रुपये के घोटाले का है, जिसमें नगर पालिका की पूर्व अधिशासी अधिकारी प्रथम दृष्टया दोषी पाई गई हैं। मेरठ मंडलायुक्त द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आई है कि पूर्व इओ ने अपने कार्यकाल के दौरान दबाव में आकर न केवल नियमों की अनदेखी की, बल्कि अपने करीबी लोगों को टेंडर वितरित किए और सरकारी धन का दुरुपयोग किया।

लोकायुक्त लखनऊ का एक्शन 

मामला प्रकाश में आने के बाद उपलोकायुक्त लखनऊ ने इस पर संज्ञान लेते हुए गाजियाबाद के जिलाधिकारी से रिपोर्ट तलब की है। साथ ही, जांच की दिशा में तेजी लाते हुए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की संभावनाएं भी बढ़ गई हैं। इस घोटाले के तार न केवल विकास कार्यों से जुड़े ठेकों तक सीमित हैं, बल्कि फर्जी बिलिंग, फर्जी आपूर्ति और वित्तीय स्वीकृतियों में गड़बड़ी जैसे गंभीर आरोप भी इसमें शामिल हैं।

बेहद गंभीर आरोप 

सूत्रों के अनुसार, पूर्व ईओ ने कई टेंडर ऐसे लोगों को आवंटित किए जो या तो योग्यता नहीं रखते थे या फिर उनके संस्थान केवल कागजों पर मौजूद थे। इसके बावजूद उन्हें मोटी रकम के सरकारी अनुबंध दिए गए और भुगतान भी समय से कर दिया गया। जांच में यह भी पाया गया कि कार्यों का भौतिक सत्यापन भी नहीं किया गया, जिससे संदेह और गहराता है।

जल्द उठेगा पर्दा

जनता के पैसों का इस तरह से दुरुपयोग न केवल प्रशासनिक तंत्र की विफलता को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल खड़ा करता है कि आखिर इतने लंबे समय तक यह सब कैसे चलता रहा। क्या स्थानीय जनप्रतिनिधि और अन्य विभागीय अधिकारी भी इस मिलीभगत में शामिल थे?

होगी सख्त कार्रवाई 

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अब जब मामला सार्वजनिक हो चुका है और उच्च स्तर से हस्तक्षेप हो चुका है, तो जनता को उम्मीद है कि दोषियों को सजा मिलेगी और भविष्य में ऐसी घटनाएं न दोहराई जाएं। पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग अब तेज होती जा रही है। अगर इस मामले में सख्त कार्रवाई होती है, तो यह एक मिसाल बन सकती है और अन्य निकायों के लिए भी एक चेतावनी।

परिदृश्यता जरूरी

इस प्रकरण ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब तक शासन में पारदर्शिता नहीं होगी और जवाबदेही सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं का समाधान संभव नहीं है। अब देखना यह है कि सरकार और प्रशासन इस पर क्या ठोस कदम उठाते हैं।

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