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नगर निगम
गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
नगर निगम में कभी डीजल का खेल थम पाएगा ऐसा दूर तक भी दिखाई नहीं दे रहा है। भले ही निगम के अधिकारियों के द्वारा दावा किया जा रहा हो कि निगम के अधिकांश वाहनों को निगम के ही पंप से डीजल दिया जा रहा है तथा अब डीजल के खेल पर नियंत्रण लगा है।
बंदर बांट में खुलासा
निगम के स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि रविवार को डीजल के खेल का जो खुलासा हुआ वह भी निगम के उस स्टाफ की देन है,जिन्हें निगम के वाहनों को डीजल वितरण के अधिकार से मुक्त कर दिया गया। उनकी कमायी पर चोट लग गई थीं। बताते है कि देखा जाए तो सुनियोजित तरीके से स्टाफ के द्वारा डीजल के खेल को अंजाम दिया जा रहा है। सवाल ये भी उठ रहे है कि पिछले दो साल के दौरान निगम के स्वास्थ्य विभाग के द्वारा आठ बार निजी पंपों के पक्ष में टेंडर छोडने के टेंडर निकाले गए लेकिन इसके बावजूद किन कारणों से प्रयेक बार अंतिम क्षण के दौरान टेंडर प्रक्रिया निरस्त कर दी गई।
साल भर पहले भी पकड़ा था
माना जा रहा है कि डीजल के खेल के न थमने की वजह डीजल का खेल का भंडापफोड होने पर उन्हीं लोगों को जांच का दात्यिव दिया जाना है,जिनके संरक्षण में डीजल का खेल किया जा रहा है। देखा जाए तो करीब एक साल पहले भी विजय नगर पुलिस के द्वारा डीजल से भरे ड्रमों के वाहन को हिरासत में लिया गया,लेकिन मामला निगम के स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचने के साथ ही मामले को रफा दफा कर दिया गया। उसी वक्त यदि मामले को गंभीरता से लेते हुए एक्शन लिया गया तो खेल लंबा चलने वाला नहीं।
कमाई का काला धंधा
कमाई के धंधे पर हुई चोट तो किया खुलासा निगम के स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की मानें तो एक लंबे समय तक निगम के वाहनों को डीजल वितरण की जिम्मेदारी वार्ड 27के पूर्व पार्षद ललित कश्यप के सगे भाई ओमप्रकाश कश्यप, एवं दूसरे भाई शीशपाल कश्यप के कंधों पर रही है। ओमप्रकाश कश्यप के कार्यकाल के दौरान भी डीजल का खेल जोरशोर से किया जा रहा था। चूंकि इस खेल को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा था।हाल में ओम प्रकाश कश्यप को निगम के वाहनों को डीजल वितरण की जिम्मेदारी से दूर कर दिया गया,तो इस पूरे प्रकरण में पूर्व पार्षद ललित कश्यप को आगे करते हुए प्रकरण का खुलासा किया गया।
कई बार टेंडर
निगम के स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते है कि देखा जाए तो पिछले दो साल के दौरान विभाग के द्वारा निजी पंपों को डीजल वितरण का जिम्मा दिए जाने की दिशा में आठ बार टेंडर निकाला गया। प्रत्येक बार पंप संचालकों से पांच पांच लाख रूपए की रकम धरोहर राशि के तौर पर निगम कोष में जमा करायी गई। सवाल ये उठ रहा है कि जब एक पंप संचालकों को लीक से हटकर लाभ दिया जाना था तो किन कारणों से टेंडर निकाले गए।
नोएडा बेचा जा रहा था डीज़ल
डीजल के खेल को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। निगम के स्वास्थ्य विभागके सूत्रों की मानें तो निगम के वाहनों को मिलने वाले डीजल को नोएडा में एक लंब समस से खफाने का खेल अंजाम दिया जा रहा है। रविवार को भी तिगरी गोल चक्कर के निकट डीजल से अटे ड्रमों से भरे वाहनों को जब्त किया गया।
जांच के बाद होगी कड़ी कार्रवाई
महापौर सुनीता दयाल का कहना है कि मामले की जांच करायी जाएगी,जांच के दौरान दोषी पाए जाने वाले अधिकारी एवं कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा।