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निगम का डीजल घोटाला
गजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
जहां हाल में उजागर हुए डीजल घोटाले का जिन्न अभी तक खामौश नहीं हुआ हो,लेकिन इस बीच मच्छरों पर नियंत्रण के लिए हेल्थ विभाग के उपकरणों को पैट्रोल उपलब्ध कराने का दायित्व लीक से हटकर एक निजी पंप संचालक को दिए जाने का मामला सामने आया है। आमतौर से पैट्रोल,सीएनजी आदि की सप्लाई निगम के वाहनों को किए जाने के मामले में बाकायदा टेंडर की प्रक्रिया अपनायी जाती है,लेकिन इस पूरे प्रकरण में ऐसा दूर तक कुछ भी नही है।
निजी पेट्रोल पंप आया सीन में
हैल्थ विभाग के सूत्र बताते है कि जिस मेरठ रोड के निजी पंप को पैट्रोल उपलब्ध कराने का दायित्व दिया गया है, उसके तार एक दलाल से जुडे है। इस दलाल की भूमिका को लेकर समय समय पर सवाल उठते रहे है। हालांकि पूरे मामले को लेकर महापौर सुनीता दयाल ने अनभिज्ञता जताते हुए संकेत दिए कि पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच करायी जाएगी। ये भी जानने का प्रयास किया जाएगा कि जिस पंप को पैट्रोल उपलब्ध कराने का दायित्व दिया गया है,क्या टेंडर की प्रक्रिया को अपनाया गया।
मामला ठंडा बस्ती में
यूं तो देखा जाए तो समय समय पर डीजल घोटाले के उजागर होते मामलों के बीच निगम के अधिकारियों के द्वारा दावा किया गया कि निगम के तमाम वाहनों को डीजल निगम के राजनगर एक्सटेंशन स्थित पंप से उपलब्ध कराया जाएगा। इसमें भी निगम के पंप पर किस तरह का खेल चल रहा है,वह हाल में महापौर के हस्तक्षेप से उजागर हुआ। खुलासा हुआ कि निगम के पंप से डीजल निगम के वाहनो में भरने के स्थान पर ड्रमों में भरते हुए नोएडा में खपाने का खेल किया जा रहा है। मामला उजागर होने पर यू तो निगम के अधिकारियों के द्वारा बहुत कुछ दावे किए गए,लेकिन समय के साथ मामला ठंडे बस्ते में समा गया।
टेंडर प्रक्रिया अपूर्ण
इस बीच कुछ पार्षदों के द्वारा वार्डों में मच्छरों की बढती समस्या का मुददा उठाया तो मच्छरों पर नियंत्रण के नाम पर मेरठ रोड स्थित डीपीएस स्कूल से लगे शुभम पंप से पैट्रोल की आपूर्ति आरंभ करा दी गई। देखा जाए तो पिछले दो साल के दौरान पैट्रोल आदि निगम के वाहनों को उपलब्ध कराने के नाम पर एक दर्जन से अधिक बार टेंडर निकाले गए,लेकिन अंतिम क्षणो में कदम पीछे कर लिए गए। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि भले ही करीब चार सौ लीटर हर रोज पेट्रोल की आपूर्ति आरंभ करायी गई है,लेकिन क्या इससे पहले टेंडर की प्रक्रिया अपनायी गई।
कौन है ओमप्रकाश
सवाल ये भी उठ रहा है कि आखिर ओमप्रकाश क्या किसी निजी पंप का संचालक है। आखिर इसी की शह पर किन कारणों से निजी पंप का निर्धारण किया जाता है। वहीं पूर्व पार्षद जाकिर सैफी ने कहा कि निगम के स्वास्थ्य विभाग में एक बडा सिंडिकेट सक्रिय है। उन्होंने ये भी सवाल किया किजब शासन के द्वारा नगर स्वास्थ्य अधिकारी का स्थानांतरण सीएमओ के अधीन कर दिया गया,ऐसे में किन कारणो से नगर स्वास्थ्य अधिकारी को रिलीव नहीं किया जा रहा है।
जब्त किए थे ट्रैक्टर
इसमें भी वार्डों में घर घर से कूडा एकत्र करने एवं शहर के विभिन्न हिस्सों से कूडा डंपिंग ग्राउंड तक पहुंचाने का दायित्व निजी हाथों में दे दिया गया,अब निगम के अफसर कौन सी साफ सफाई व्यवस्था देख रहे है। इसमें भी महापौर के द्वारा हाल में निजी टेक्टरों के द्वारा बिल्डरों के द्वारा विकसित टाउनशिप से निकलने वाले कूडे को शहर के विभिन्न हिस्सों में डाले जाने का मामला उजागर करते हुए टेक्टर जब्त किए थे।