Advertisment

Scam : वृद्धावस्था पेंशन घोटाला उजागर, 738 अपात्र पेंशनधारी चिह्नित, विभाग करेगा रिकवरी

गाजियाबाद जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत किए गए हालिया सत्यापन में बड़ा खुलासा हुआ है। समाज कल्याण विभाग द्वारा कराए गए सत्यापन में 738 ऐसे लाभार्थियों की पहचान की गई है, जो योजना के मानकों पर खरे नहीं उतरते। इनमें मृतक पेंशनधारी और फर्जी

author-image
Syed Ali Mehndi
20250718_100810_0000

काल्पनिक चित्र

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता

Advertisment

गाजियाबाद जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत किए गए हालिया सत्यापन में बड़ा खुलासा हुआ है। समाज कल्याण विभाग द्वारा कराए गए सत्यापन में 738 ऐसे लाभार्थियों की पहचान की गई है, जो योजना के मानकों पर खरे नहीं उतरते। इनमें मृतक पेंशनधारी और फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए लाभ लेने वाले लोग शामिल हैं।

फर्जी लोगों पर कार्रवाई 

समाज कल्याण अधिकारी संदीप चौधरी ने बताया कि जिले में वृद्धावस्था पेंशन योजना के तहत 60 वर्ष से अधिक आयु के बीपीएल श्रेणी के नागरिकों को ₹1000 प्रतिमाह पेंशन दी जाती है। लेकिन सत्यापन में यह सामने आया कि कई लाभार्थियों ने गलत जन्म तिथि और फर्जी आय प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर योजना का लाभ उठाया है।इतना ही नहीं, कई मामलों में लाभार्थी की मृत्यु हो चुकी थी, फिर भी उनके खातों में नियमित रूप से पेंशन भेजी जा रही थी। विभाग ने इन सभी अपात्र व्यक्तियों को नोटिस जारी कर दिया है और उनसे वसूली की प्रक्रिया भी प्रारंभ कर दी गई है।

Advertisment

प्रशासनिक जांच 

योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र के लाभार्थी की वार्षिक आय सीमा ₹40,080 और शहरी क्षेत्र में ₹56,460 निर्धारित है। लेकिन कई लाभार्थियों ने इन सीमाओं से अधिक आय होते हुए भी झूठे दस्तावेजों से पेंशन प्राप्त की। यह प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की गंभीर स्थिति को दर्शाता है।समाज कल्याण विभाग ने अब यह सुनिश्चित किया है कि भविष्य में सभी योजनाओं के लाभार्थियों का डिजिटल सत्यापन नियमित रूप से किया जाए, जिससे इस प्रकार की अनियमितताओं पर पूर्णतः अंकुश लगाया जा सके।

पारदर्शिता अनिवार्य 

Advertisment

जिले में इस खुलासे के बाद अन्य योजनाओं की भी जांच की मांग उठने लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इसी तरह पारदर्शी जांच की जाती रही, तो कई और फर्जीवाड़ों से परदा उठ सकता है। समाज कल्याण विभाग की यह पहल सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।

Advertisment
Advertisment