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निंजा स्पोर्ट्स अकैडमी
गाजियाबाद,वाईबीएन संवाददाता
आज के समय में आत्मरक्षा केवल एक कला नहीं बल्कि जीवन की अनिवार्य आवश्यकता बन चुकी है। बदलते सामाजिक परिवेश और अपराधों के बढ़ते मामलों ने यह साबित कर दिया है कि हर व्यक्ति, विशेषकर महिलाएं और बच्चे, अपनी सुरक्षा के प्रति सजग और सक्षम हों। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निंजा स्पोर्ट्स मार्शल आर्ट स्कूल गेम एसोसिएशन उत्तर प्रदेश और एक्टिव ग्रीन (नींव) संस्था के संयुक्त तत्वावधान में नंदग्राम स्थित सेवा भारती विवेकानंद विद्या मंदिर विद्यालय में विशेष सेल्फ डिफेंस क्लास का आयोजन किया गया।
निंजा स्पोर्ट्स
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन निंजा स्पोर्ट्स के महासचिव विक्की पांचाल ने किया। उन्होंने विद्यालय के छात्र-छात्राओं को न केवल मार्शल आर्ट की बुनियादी जानकारी दी बल्कि आत्मरक्षा के कुछ व्यावहारिक गुण भी सिखाए। उन्होंने बच्चों को समझाया कि विपरीत परिस्थितियों में भयभीत होने के बजाय संयम और साहस से काम लेकर खुद को सुरक्षित करना जरूरी है। पांचाल ने यह भी कहा कि आज के समय में सेल्फ डिफेंस एक आवश्यक कौशल है जिसे प्रत्येक बच्चे और महिला को सीखना चाहिए।
तकनीक और कड़ी मेहनत
कक्षा के दौरान बच्चे बड़े ही उत्साह और रुचि के साथ इस प्रशिक्षण में शामिल हुए। उन्होंने सीखे हुए अभ्यासों को बार-बार दोहराया और यह विश्वास जताया कि इन तकनीकों से वे कठिन परिस्थितियों में स्वयं की रक्षा कर सकेंगे। इस मौके पर एक्टिव ग्रीन (नींव) संस्था की अध्यक्ष निधि विश्वकर्मा ने कहा कि महिलाओं और बच्चियों के खिलाफ बढ़ते अपराध चिंताजनक हैं। ऐसे में समाज को आगे आकर सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देना होगा। उनके अनुसार इस प्रकार की कार्यशालाएं न केवल आत्मरक्षा की शिक्षा देती हैं बल्कि बच्चों और महिलाओं में आत्मविश्वास भी बढ़ाती हैं।विद्यालय की प्रधानाचार्या सीमा भसीन ने कार्यक्रम की सराहना करते हुए आश्वासन दिया कि मार्शल आर्ट सीखने के लिए विद्यालय प्रशासन बच्चों को आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा की शिक्षा बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाने का काम करती है और विद्यालय इस दिशा में हर संभव सहयोग करेगा।
शिक्षक गण रहे उपस्थित
इस अवसर पर विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ-साथ अनेक गणमान्य लोग भी उपस्थित रहे। अरुण गुप्ता, सत्येन्द्र त्यागी, पुष्पा गोस्वामी, अंजू और नीतम सहित अन्य लोगों ने बच्चों का उत्साहवर्धन किया और इस पहल को सराहा।कार्यक्रम का मुख्य संदेश यही रहा कि आत्मरक्षा केवल लड़ाई की तकनीक नहीं बल्कि आत्मसम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यदि बच्चे और महिलाएं इस कौशल को सीख लें तो न केवल वे स्वयं सुरक्षित रहेंगे बल्कि समाज में भी सुरक्षा और विश्वास का माहौल बनेगा। गाजियाबाद में आयोजित इस कार्यशाला ने यह साबित कर दिया कि सामाजिक संस्थाएं और शैक्षणिक संस्थान मिलकर एक सुरक्षित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।