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Shameful: शहर से लाईन पार को जोड़ने वाली सादिक की पुलिया, आयुक्त साहब! देख लीजिए आपके स्वच्छ शहर के सपनों का हाल?

शक नहीं कि नगर आयुक्त शहर चमकाने में दिन-रात जुटे हैं। कहना होगा कि हरदेव सिंह बाबा के बाद गाजियाबाद की सूरत बदलने का प्रयास यदि किसी ने किया है, तो वो विक्रमादित्य सिंह मलिक हैं। लेकिन सादिक की पुलिया आज भी उसी हाल में है जैसी दशकों पहले थी। सवाल क्यों?

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Rahul Sharma
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लाईन पार क्षेत्र और पुराने शहर गाजियाबाद को आपस में जोड़ने वाली रेलवे लाइन के नीचे बनी सादक की पुलिया में निगम के स्वच्छता के दावों की हकीकत। फोटो जनर्लिस्ट सुनील पंवार।

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

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सादक की पुलिया जिसे आज लोग सादिक की पुलिया कहकर पुकारते हैं ये दशकों पहले बनी थी। उस वक्त से लेकर आज तक इसकी दयनीय हालत जस की तस है। सिटी बोर्ड से नगर निगम भी बन गया। कई चेयरमैन-महापौर आए। कई अफसर और आईएएस तक नगर आयुक्त के पद पर आए। मगर, इसकी दुर्दशा नहीं सुधार सके। नतीजा तस्वीरों के रूप में आपके सामने है। दिन-रात सैकड़ों मीडिया वाले भी इस पुलिया से होकर गुजरते हैं। मगर, दुर्भाग्य देखिए कि सबने शायद इसे इसके हाल पर छोड़ने का मन बना लिया है। लेकिन नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक जैसे अफसर जो दिन-रात महानगर की दशा और शक्ल को नये नये प्रयोगों से बदलने के प्रयास कर रहे हैं, शायद वो ही संज्ञान लें तो इस पुलिया की दशकों से बिगड़ी तकदीर संवर जाए। ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि इसके दोनों तरफ पड़ने वाले वार्डों के पार्षद भी शायद इन हालातों से समझौता कर इन हालातों को स्वीकार कर चुके हैं। तब ही इसकी दशा सुधारने के लिए आज तक कोई मजबूत प्रयास नहीं किया गया।

दो वार्डों के बीच बनी है पुलिया

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सादिक की पुलिया में नगर निगम के स्वच्छता संदेशों के सामने ही पड़े कूड़े के ढेर निगम अफसरों के स्वच्छता के प्रयासों को मुंह चिढ़ाते हुए।
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सादिक की पुलिया के एक तरफ यानि शहर की ओर मुहल्ला इस्लाम नगर जो मुस्लिम बाहुल्य इलाके कैला भट्टा के वार्ड नंबर 93 से आता है, वो है जबकि दूसरा हिस्सा लाईन पार क्षेत्र के पुराने मुहल्ले कैलाश नगर का है। कैलाश नगर से वर्तमान पार्षद जगत सिंह हैं जो निर्दलीय चुने गए हैं, जबकि इस्लाम नगर के वार्ड नंबर 93 से सपा की महिला पार्षद है। उनके पति आरिफ पत्नी की जगह सारा काम-काज देखते हैं। इन दोनों वार्डों के बीच बनी इस पुलिया की ये दुर्दशा दशकों से जस की तस है। पार्षद बदले मगर, इस पुलिया से गंदगी का ये अंबार कभी खत्म नहीं हुआ। हालाकि निगम की ओर से कई बार इस पुलिया की दशा सुधारने के लिए वॉल पेंटिंग के साथ-साथ लाइटिंग समेत तमाम इंतजाम किए गए। मगर, कूड़े और गंदे पानी से यहां की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

कैलाशनगर में आती है पुलिया

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ये पुलिया लाईन पार क्षेत्र के कैलाशनगर वार्ड में आती है। मगर, इसके दूसरी तरफ का सारा हिस्सा वार्ड 93 यानि सपा पार्षद के वार्ड में है। पुलिया के भीतर से लेकर दोनों तरफ बाहर कूड़े का हर सुबह ढेर लगा रहता है। जहां कैलाशनगर के पार्षद इस कूड़े का जिम्मेदार इस्लामनगर वासियों को बताते हैं, तो वार्ड 93 के पार्षद पति कहते हैं कि ये उनके वार्ड का हिस्सा है ही नहीं । लिहाजा, सफाई का जिम्मा कैलाश नगर के पार्षद का है।

कैलाश नगर पार्षद का दावा

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जगत सिंह, निर्दलीय पार्षद, वार्ड नंबर 23 कैलाश नगर।

 

कैलाश नगर के पार्षद जगत सिंह बताते हैं कि उनके द्वारा कई बार सफाई कराई गई। पुलिया में प्रकाश व्यवस्था के लिए निजी खर्चे पर एलीडी भी लगवाई गईं। मगर असामाजिक तत्व उन्हें चोरी कर ले जाते हैं। उनका आरोप है कि इस्लाम नगर इलाके में रहने वाले लोग रात में चोरी छिपे अपने घरों का कूड़ा और मलबा यहां डाल देते हैं। उनका कहना है कि इस्लाम नगर में घरों में चलने वाली अवैध दूध की डेयरियां और वहां पलने वाले पशुओं की गंदगी सुबह-शाम नाले-नालियों में बहाई जाती है जिसकी वजह से दिन-रात यहां जलभराव और गंदा पानी सड़कों पर बहता रहता है। कई बार इस संबंध में अफसरों से भी लिखित और मौखिक रूप से कहा गया है। मगर कोई एक्शन नहीं लिया जाता। जिसके चलते हालात ये हैं।

आयुक्त साहब! लो संज्ञान-निकालो स्थाई समाधान

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अधिकारियों की बैठक लेेते नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक।

 

शिवरात्रि से कुछ रोज पहले ही नगर आयुक्त ने इन्हीं दो वार्डों के बीच आने वाले गऊशाला अंडरपास की दशा वॉल पेंटिंग के जरिये सुधरवाई थी। जाहिर है कि यदि वे संज्ञान लेंगे तो दशकों से चली आ रही लाईन पार क्षेत्र और शहर को जोड़ने वाली सबसे पुरानी पुलिया की बीमारी का भी कोई हल निकलेगा और लोगों को पूर्व मंत्री बालेश्वर त्यागी के द्वारा दी गई सौगात यानि गऊशाला अंडरपास की तरह ही सादिक की पुलिया भी चमकती-दमकती मिलेगी।

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