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Shameful: देखिए! सूबे को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले जिले में जनसुविधा केंद्र का हाल, अफसर बोले-बजट की दरकार

सूबे को राजस्व देने में नंबर दो पर गाजियाबाद है। कई मायनों में ये जिला नंवर वन भी है। बावजूद इसके हास्यपद स्थिति ये है कि जिलाधिकारी कार्यालय में ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना में बना हाईटेक जनसुविधा केंद्र खंडहर में तब्दील है। लेकिन बताते हैं कि बजट का अभाव है।

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Rahul Sharma
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ये तस्वीर डीएम ऑफिस में बने जनसुविधा केंद्र की है, जो गाजियाबाद के विकास और सरकारी विभागों के हाइटेक होने की हकीकत बयां कर रही है।

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गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता।

गाजियाबाद वो जिला है जिसे केंद्र और प्रदेश की सत्ता पर काबिज बीजेपी का अभेघ दुर्ग कहा जाता है। गाजियाबाद वो जिला है जहां सारे विधायक, सांसद-महापौर से लेकर अधिकांश पालिकाओं के चेयरमैन तक इसी पार्टी के हैं। योगी सरकार में एक कैबिनेट सहित दो-दो मिनिस्टर भी इस जिले से हैं। इन सबके साथ-साथ ये वो जिला है जो सूबे को सबसे ज्यादा राजस्व देने के मामले में नंबर दो पर है। बावजूद इसके आप एक बार जाकर देखें गाजियाबाद के जिलाधिकारी कार्यालय में बने हाईटेक जनसुविधा केंद्र का हाल। अफसरों का दावा है कि बजट के अभाव में इसकी हालत को दुरुस्त नहीं कर पा रहे।

ये है संपन्न जिले के जनसुविधा केंद्र का मुख्यद्वार

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ये जिलाधिकारी कार्यालय में उपेक्षा का शिकार सरकारी जनसुविधा केंद्र है। जिसे ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना के तहत करोड़ों की लागत से बनवाया गया था।

इस जन सुविधा केंद्र का उद्घाटन सूबे में शुरू की गई ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना के तहत तत्कालीन गाजियाबाद के जिलाधिकारी दीपक अग्रवाल के कार्यकाल में कराया गया था।

मंडलायुक्त ने किया था उद्घाटन

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जनसुविधा केंद्र की खस्ताहाल बिल्डिंग का बाहरी हिस्सा और उसके बाहर लगा सरकारी उद्घाटन का पत्थर।

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5 फरवरी 2008 को तत्कालीन मेरठ मंडल के आयुक्त और सीनियर आईएएस अफसर देवेंद्र चौधरी ने इसका उद्घाटन किया था। लेकिन सरकारी मशीनरी की बेपरवाही का नतीजा ये रहा कि एक तरफ जहां प्रदेश और केंद्र की सरकार हाईटेक तकनीक के माध्यम से तमाम सरकारी कामकाज को ऑनलाईन और सरल करने में लगी है, वहीं ई-डिस्ट्रिक्ट योजना के तहत एक जगह पर कई सुविधाएं लोगों को मुहैया कराने वाला ये जनसुविधा केंद्र खुद बदहाल है।

जन-सुविधा के लिए बने थे दर्जनभर काउंटर

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जनसुविधा केंद्र का भीतरी हिस्सा जो बता रहा है कि लोगों की सहूलियत के लिए एक साथ कितने काउंटर खोले गए थे।

 तत्कालीन सरकार में न सिर्फ अफसरशाही ने एक काउंटर पर हर तरह की सहूलियत देने के लिए इस जनसुविधा केंद्र में दर्जन भर काउंटर बनाए थे। इन काउंटर्स पर तमाम वो सरकारी कामकाज होते थे जिनके लिए आज लोग निजी जनसुविधा केंद्रों पर ओने-पोने दाम देने को मजबूर हैं। यदि ये जनसुविधा केंद्र इस हालत में न होता तो इस जिले के लोगों को न धक्के खाने पड़ते और ना ज्यादा सुविधा शुल्क देना पड़ता।

जमींदोज होने वाला है ये जनसुविधा केंद्र

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जिलाधिकारी कार्यालय के बीचोंबीच बनी इस बिल्डिंग की हालत भी अब लगभग उन सरकारी योजनाओं जैसी है, जो बजट के अभाव में खस्ताहाल हैं।

सूत्रों की मानें तो करोड़ों की लागत से बनाए गए इस जन सुविधा केंद्र ने मेंटिनेंस और बजट के अभाव में दम तोड़ दिया। वहीं अब अफसर इस जगह पर किसान मार्ट बनाने की तैयारी में हैं। मगर, इस बार भी रोना बजट का ही है। पता चला है कि इस जनसुविधा केंद्र को सुचारू रखने में नाकाम सरकारी मशीनरी अब इसे चालू कराने की बजाय यहां नई योजना लाने की तैयारी में जुटी है।

जनसुविधा केंद्र की जगह किसान मार्ट बनाने की तैयारी

इस संबंध में मुख्य विकास अधिकारी अभिनव गोपाल का कहना है कि इस स्थान पर किसान मार्ट बनने का प्रपोज बन रहा है। लेकिन अभी बेहद प्रारंभिक स्थिति में है। जिसके चलते अभी इस संबंध में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।

सभी फोटो-वाईबीएन फोटो जनर्लिस्ट सुनील पंवार

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