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state of the smart city: गाजियाबादियों को गंदा पानी पिला रहा सरकारी अमला, सरकारी रिपोर्ट ने ही खोली पोल

स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले दिल्ली से सटे गाजियाबाद में सरकारी अमला लोगों को पीने के लिए गंदे पानी की सप्लाई कर रहा है। ताज्जुब ये कि इस लापरवाही और बेपरवाही का खुलासा सरकारी जांच में ही हुआ है।

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Rahul Sharma
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गाजियाबाद, चीफ रिपोर्टर।

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भले ही सरकार या सरकारी मशीनरी के अफसर कितने भी दावें करें मगर कागजी आंकड़ों में स्मार्ट सिटी के रूप में दर्ज जिला गाजियाबाद में पॉश इलाकों से लेकर मलीन बस्तियों तक में लोग दूषित पानी पी रहे हैं। हां ये बात अलग है कि वो सरकारी सप्लाई पर यकीन नहीं करके अपनी जेब ढीली करके पानी पी रहे हैं तो घबराने की जरूरत नहीं। जिले को स्वच्छ पानी की सप्लाई करने के सरकारी दावों की ये जो हकीकत हम आपको बता रहे हैं इसकी सच्चाई भी सरकारी रिपोर्ट से ही सामने आई है। वो कैसे जाने इस रिपोर्ट में।

ये है स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट

जिले के स्वास्थ्य विभाग ने अलग-अलग क्षेत्रों में सप्लाई हो रहे पानी के नमूने लेकर जांच कराई थी। इनमें 145 सैंपल फएल मिले हैं। यानि इन जगहों पर पीने के जिस पानी की सप्लाई सरकारी महकमें कर रहे हैं वो दूषित है। स्वास्थ्य विभाग ने नगर निगम और प्रशासन को इस बाबत सूचना दे दी है।

तीन महीने में हुई पानी की जांच रिपोर्ट

एक जनवरी से 31 मार्च तक तीन महीने में स्वास्थ्य विभाग ने अलग-अलग इलाकों में पानी के अलग-अलग जगहों से कुल 434 नमूने लेकर जांच को भेजे। इनमें से 289 नमूमें सरकारी जांच में पानी की गुणवत्ता के लिहाज से सही पाए गए। मगर, बड़ी बात ये निकलकर सामने आई कि 145 नमूने जांच में फेल पाए गए। यानि कि 145 जगहों से जो पानी के सेंपल लिए गए वहां दूषित पानी लोगों को पीने को मिल रहा था।

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इन इलाकों के लोग पी रहे दूषित पानी

स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, ये नमूने सिहानी गेट, लोनी, विजयनगर, साहिबाबाद, मोदीनगर, मुरादनगर, कविनगर और अन्य क्षेत्रों से लिए गए थे। जांच में यह सामने आया कि कई स्थानों पर पानी में बैक्टीरिया, दूषित तत्व और अशुद्धियां पाई गईं, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं। 

अब पीटी जा रही है लकीर

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रिपोर्ट मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी को निर्देश दिया है कि जिन क्षेत्रों के नमूने फेल हुए हैं, वहां पानी की टंकियों की सफाई, पाइपलाइनों की मरम्मत और क्लोरीनेशन की प्रक्रिया तुरंत करवाई जाए। साथ ही लोगों को जागरूक करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाए।

जन स्वास्थ्य अधिकारी की सफाई

जन स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राकेश गुप्ता का कहना है कि गर्मी के मौसम में जल स्रोतों में बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है, जिससे दूषित पानी की समस्या आम हो जाती है। इसके चलते डायरिया, हैजा, टाइफाइड जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि जिन इलाकों में पानी फेल हुआ है, वहां दोबारा पानी का नमूना लेकर जांच कराया जाएगा। 

देखिए महीनेवार जांच का हाल

महीना:  नमूने, पास, फेल
     मार्च:  134, 106, 28
फरवरी:   148, 104, 44
जनवरी:    152, 79, 73
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