गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
जिले के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों का वेतन पिछले तीन माह से लंबित है, जिससे कर्मचारियों में गहरा आक्रोश व्याप्त है। 60 से अधिक कर्मचारी वेतन न मिलने के कारण आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं और अब उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दी है। यदि कर्मचारियों ने वास्तव में काम बंद कर आंदोलन शुरू किया, तो इससे स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ना तय है।
लिखा है पत्र
अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि वेतन भुगतान के लिए संबंधित ठेका कंपनी को पत्र भेजा जा चुका है। हालांकि, अब तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है। प्रबंधन के अनुसार, वे भी प्रयास कर रहे हैं कि जल्द से जल्द कर्मचारियों का वेतन जारी हो ताकि अस्पताल की व्यवस्था प्रभावित न हो। लेकिन जब तीन माह से समस्या बनी हुई है, तो कर्मचारियों का धैर्य भी जवाब देने लगा है।
अधिकतर संविदा कर्मी
चतुर्थ श्रेणी के ये कर्मचारी अस्पतालों में साफ-सफाई, मरीजों की देखरेख, वार्ड व्यवस्था जैसी महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों को संभालते हैं। इनमें से अधिकतर कर्मचारी संविदा पर कार्यरत हैं, जिन्हें निश्चित वेतन और सुविधाएं भी स्थायी कर्मचारियों की तुलना में सीमित मिलती हैं। वेतन में देरी से उनकी दैनिक जीवनचर्या प्रभावित हो रही है। कई कर्मचारियों ने बताया कि वे किराया, बच्चों की फीस और घर के खर्चे तक नहीं चला पा रहे हैं।
हो जाएगी समस्या
स्वास्थ्य विभाग के भीतर इस तरह की समस्या का उत्पन्न होना चिंता का विषय है, क्योंकि यदि चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी काम छोड़ते हैं या प्रदर्शन करते हैं, तो अस्पतालों की स्वच्छता, मरीजों की सेवा और अन्य आधारभूत व्यवस्थाएं चरमरा जाएंगी। वर्तमान में, विभिन्न संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा भी बना रहता है, और अस्पतालों में साफ-सफाई की महत्ता और बढ़ जाती है। ऐसे समय में यदि सफाई कर्मी आंदोलन पर चले गए तो हालात बद से बदतर हो सकते हैं।
शीघ्र मिले वेतन
कर्मचारियों का कहना है कि यदि शीघ्र ही वेतन का भुगतान नहीं किया गया तो वे सामूहिक हड़ताल करेंगे और स्वास्थ्य मुख्यालय के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे। कई कर्मचारी मानसिक तनाव का भी शिकार हो चुके हैं। उनका कहना है कि वेतन के लिए बार-बार आग्रह करने के बावजूद उनकी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया गया, जिससे उन्हें अब सख्त कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ रहा है।
कंपनियों पर हो सख्ती
स्थिति को देखते हुए जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए। ठेका कंपनियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं दोबारा उत्पन्न न हों। संविदा कर्मचारियों के साथ भी मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान किया जाना चाहिए। स्वास्थ्य सेवाओं का निर्बाध संचालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है कि कर्मचारियों का आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य भी सुरक्षित रहे।
समाधान जरूरी
यदि समय रहते इस समस्या का समाधान नहीं निकाला गया तो न केवल स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित होंगी, बल्कि आम जनता को भी भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। अतः अब यह जिम्मेदारी प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग दोनों की है कि वे शीघ्र सकारात्मक कदम उठाएं और कर्मचारियों का भरोसा बहाल करें।