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Suspend : एलविश यादव का मामला, कोर्ट को आया गुस्सा, थानेदार निलंबित

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना पर गाजियाबाद पुलिस प्रशासन में बड़ी कार्रवाई हुई है। नगर कोतवाली प्रभारी धर्मपाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। पुलिस कमिश्नर ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में लापरवाही बरते जाने

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Syed Ali Mehndi
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फाइल फोटो

गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना पर गाजियाबाद पुलिस प्रशासन में बड़ी कार्रवाई हुई है। नगर कोतवाली प्रभारी धर्मपाल सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। पुलिस कमिश्नर ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में लापरवाही बरते जाने के आरोपों पर उठाया है। यह मामला एनिमल एक्टिविस्ट गौरव सौरभ को सुरक्षा उपलब्ध न कराने से जुड़ा है, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही सख्त नाराज़गी जताई थी।

बहुचर्चित मामला 

दरअसल, बहुचर्चित एलविश यादव मामले में गौरव सौरभ और सौरव मुख्य गवाह हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दोनों गवाहों को सुरक्षा देने का आदेश दिया था। अदालत का मानना था कि इस केस में गवाहों की जान को खतरा हो सकता है, इसलिए पुलिस विभाग की जिम्मेदारी थी कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा प्रदान की जाए। लेकिन अदालत के स्पष्ट आदेशों के बावजूद गवाहों को सुरक्षा नहीं मिली।

कोर्ट में शिकायत

गौरव सौरभ ने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई थी। उनका कहना था कि अदालत से आदेश आने के बावजूद उन्हें सुरक्षा कवर नहीं दिया गया, जिससे उनकी जान जोखिम में बनी हुई है। इस शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस अधिकारियों से जवाब तलब किया और अवमानना नोटिस भी जारी किया। मामले की सुनवाई से पहले ही गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने नगर कोतवाली प्रभारी धर्मपाल सिंह को निलंबित कर दिया, ताकि यह संदेश जाए कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।जानकारी के अनुसार, धर्मपाल सिंह पर पहले भी इसी तरह के आरोप लग चुके हैं। जब वे नंदग्राम थाने में प्रभारी के पद पर तैनात थे, उस समय भी उन्होंने कोर्ट के आदेशों का अनुपालन नहीं किया था। ऐसे में उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होना तय माना जा रहा था। 

कोर्ट का कठोर रुख

सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस विभाग की इस लापरवाही को गंभीरता से लिया और कठोर रुख अपनाया।पुलिस विभाग पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि वह अदालत के आदेशों को हल्के में लेता है। यह मामला एक बार फिर इस धारणा को मजबूत करता है। अदालत ने साफ कहा था कि गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित करना पुलिस का कर्तव्य है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही गवाहों की जान को खतरे में डाल सकती है। गौरव सौरभ जैसे एक्टिविस्ट पहले भी कई बार विवादित मामलों में सामने आए हैं और उन्हें जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। ऐसे में सुरक्षा प्रदान न करना न सिर्फ कानून की अवहेलना है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।

अनुशासनात्मक कार्रवाई

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गाजियाबाद पुलिस कमिश्नर ने अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए धर्मपाल सिंह को सस्पेंड कर यह स्पष्ट कर दिया है कि कोर्ट के आदेशों की अवमानना करने वाले किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा। इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में भी हलचल मच गई है और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मामले से जुड़े अन्य जिम्मेदार अधिकारियों पर भी गाज गिर सकती है।कुल मिलाकर, यह घटना न्यायपालिका और पुलिस प्रशासन के बीच की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करती है। अदालत के आदेश सर्वोपरि होते हैं और उनका पालन करना हर हाल में अनिवार्य है। गाजियाबाद में हुई इस सख्त कार्रवाई से यह संदेश गया है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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