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Trans Hindon News: खस्ता हाल सड़कें हैं कड़कड़ मॉडल में, बिजली और पानी जैसी मूलभूत समस्याओं से जूझ रहे वाशिंदे

शहर से दूर कड़कड़ मॉडल की जमीनी हकीकत बेहद खराब है। यहां के लोगों को न सड़कें मिलीं, न साफ पानी और न ही स्वस्थ माहौल। यहां के लोगों का जीवन नरकीय हो गया है।

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Neeraj Gupta
कड़कड़ मॉडल
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ट्रांस हिंडन, बाईबीएन संवाददाता। शहर से दूर कड़कड़ मॉडल की जमीनी हकीकत बेहद खराब है। यहां के लोगों को न सड़कें मिलीं, न साफ पानी और न ही स्वस्थ माहौल। यहां के लोगों का जीवन नरकीय हो गया है। 

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CM Yogi ने जनता दर्शन में सुनीं लोगों की शिकायतें, बोले-फरियादियों की समस्याओं को गंभीरता से लें अधिकारी

एक लाख से ऊपर की आबादी वाला यह क्षेत्र कई सालों से बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है। कड़कड़ मॉडल क्षेत्र के लोगों की जिंदगी रोजमर्रा की जद्दोजहद में फंसी है। जहां एक ओर पांच साल से टूटी सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है, वहीं सिर्फ एक समय मिलने वाली जलापूर्ति ने परेशानी और बढ़ा दी है। हालात यह है कि लोग अब पानी तक खरीदने को मजबूर हैं।

जर्जर हैं सड़कें हैं, मरम्मत कर खानापूर्ति हो रही

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रेल फाटक 4सी, राधा कुंज रोड, बड़ा पार्क और रामलीला ग्राउंड तक जाने वाली सड़कें जगह-जगह से उखड़ी हैं। स्थानीय निवासी ने बताया कि कई बार नगर निगम के अधिकारियों से शिकायत की गई, एक बार मरम्मत शुरू भी हुई, लेकिन बीच में काम रुक गया। कुछ जगहों पर उधड़े गड्ढों में सिर्फ मिट्टी डाल दी गई, जो बारिश में बह गई। इन परेशानियों को लेकर जहां एक तरफ कड़कड़ मॉडल की जनता लगातार प्रदर्शन कर रही है। वहीं दूसरी तरफ समस्याओं के निस्तारण के लिए अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। इन रोजमर्रा की जरूरतों के लिए कड़कड़ निवासियों ने रविवार को भी प्रदर्शन किया।

रामलीला मैदान के पास अवैध कूड़ाघर बने बीमारी का घर

रामलीला ग्राउंड और बड़ा पार्क के पास बनाए गए अवैध कूड़ा घर स्थानीय लोगों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। यहां से उठती दुर्गंध और मच्छरों की भरमार से बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। बीते चार साल में 20 से अधिक प्रदर्शन किए गए हैं। सीएम जनसुनवाई पोर्टल और पीएमओ तक शिकायत भेजी गईं, लेकिन कूड़ा हटाने की दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। स्थानीय निवासी अरुण तोमर ने बताया कि क्षेत्र में आने वाले नगर निगम कर्मचारियों ने ही यहां पर कई इलाकों में डंपिंग जोन बना दिए हैं, जिसके चलते शहर की सुंदरता तो खराब हुई ही है। साथ ही बीमारी का खतरा भी बढ़ गया है।

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पेयजल आपूर्ति के लिए बोतल बंद पानी पर हैं निर्भर

करीब एक लाख की आबादी वाले कड़कड़ मॉडल में पेयजल की आपूर्ति दिन में केवल एक बार होती है। स्थानीय निवासी जयकिशोर बताते हैं कि रोज के घरेलू कार्यों के लिए टैंकर या बोतलबंद पानी खरीदना पड़ता है। अब तक 50 से अधिक बार प्रदर्शन हो चुके हैं, लेकिन जल विभाग की व्यवस्था जस की तस है।

शिकायतों को दुरूस्त करने के नाम पर खानापूर्ति 

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स्थानीय निवासी पंकज और सुशील ने बताया कि नगर निगम, जल विभाग, क्षेत्रीय पार्षद, स्वास्थ्य निरीक्षक सहित कई जिम्मेदार अधिकारियों से शिकायत की है। इसके बावजूद आज तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकला है। लोगों का कहना है कि विकास के नाम पर हमसे सिर्फ वादे किए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लोग अभी तक नगर आयुक्त कार्यालय, क्षेत्रीय जल निगम अभियंता, नगर निगम स्वास्थ्य निरीक्षक, मुख्यमंत्री पोर्टल, प्रधानमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर कई बार शिकायतें कर चुके हैं लेकिन कोई समाधान नहीं निकल पाया है।

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