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सरकारी आदेश की कॉपी
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
गाजियाबाद के परिवहन विभाग में हाल ही में अधिकारियों और कर्मचारियों के स्थानांतरण आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन कुछ अधिकारियों द्वारा इन आदेशों को मानने से इनकार करना प्रशासन के लिए चिंता का विषय बन गया है। ट्रांसफर पॉलिसी के तहत किए गए इन तबादलों में जहां नियमों का पालन अपेक्षित था, वहीं कई अधिकारी अपनी पसंद की तैनाती को लेकर आदेशों की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं।
कुर्सी से है प्रेम
प्राप्त जानकारी के अनुसार, गाजियाबाद परिवहन विभाग के प्रधान सहायक राजीव कुमार श्रीवास्तव का तबादला बागपत कर दिया गया है। इसके बावजूद वे अब तक अपनी नवीन तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने नहीं पहुंचे हैं। यही नहीं, वरिष्ठ सहायक अनिल कुमार हरित, जिनका स्थानांतरण मेरठ किया गया है, वे भी अपनी पुरानी पोस्टिंग पर जमे हुए हैं। यह रवैया न केवल सरकारी नियमों की अवहेलना है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती देने जैसा भी प्रतीत होता है।सूत्रों के अनुसार, ट्रांसफर को लेकर विभाग के भीतर कमीशनखोरी की भी चर्चाएं ज़ोरों पर हैं। आरोप लगाए जा रहे हैं कि कुछ अधिकारियों ने मनचाही पोस्टिंग के लिए पैसों का सहारा लिया है, जिससे ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है। ऐसे हालात में विभागीय अनुशासन और पारदर्शिता पर भी प्रश्नचिह्न लगने लगे हैं
शासन ने की सख़्ती
इन परिस्थितियों को देखते हुए प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए एक नया निर्देश जारी किया है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि यदि कोई अधिकारी या कर्मचारी स्थानांतरण आदेश का पालन नहीं करता है तो उसे तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया जाएगा। यह निर्देश सभी संबंधितों को पत्र के माध्यम से भेजा गया है ताकि कोई भ्रम न रहे। वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि सरकार की ट्रांसफर नीति पूरी पारदर्शिता के साथ लागू की जाती है। इसमें नियमों का पालन अनिवार्य है और जो अधिकारी आदेश की अवहेलना करेंगे, उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस सख्ती का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रशासनिक व्यवस्था अनुशासन और निष्पक्षता पर आधारित रहे।a
गद्दीनशीनों का बोलबाला
इस पूरे घटनाक्रम से एक बार फिर यह सवाल खड़ा हो गया है कि क्या सरकारी तंत्र में नियमों से ऊपर कुछ लोग हो गए हैं? यदि सरकारी आदेशों का पालन न करने वालों पर तत्काल कार्रवाई नहीं की जाती तो यह गलत उदाहरण पेश करेगा और विभागीय अनुशासन पूरी तरह चरमरा सकता है।परिवहन विभाग में व्याप्त इस अव्यवस्था को दूर करने के लिए प्रशासन द्वारा उठाया गया यह कदम निश्चित रूप से जरूरी और समयोचित है। अब यह देखना होगा कि संबंधित अधिकारी कब तक अपने नए स्थानों पर रिपोर्ट करते हैं और प्रशासन इस निर्देश को कितनी गंभीरता से लागू करता है।