/young-bharat-news/media/media_files/2025/09/10/untitled-design_20250910_143954_0000-2025-09-10-14-41-16.jpg)
विभिन्न गणमान्य लोगों का किया स्वागत
गाजियाबाद, वाईबीएन संवाददाता
विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान की अगुवाई में तीन दिवसीय धार्मिक एवं राजनीतिक यात्रा संपन्न हुई। यह यात्रा गाजियाबाद से प्रारंभ होकर लखनऊ, अयोध्या होते हुए गोरखपुर तक पहुंची। यात्रा का मुख्य उद्देश्य धर्म और समाज सेवा के महान विभूतियों को नमन करना और संत-परंपरा से जुड़े आयोजनों में सहभागिता निभाना रहा।
शिष्टाचार भेंट
यात्रा के पहले पड़ाव पर लखनऊ में ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा ने उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बृजेश पाठक से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर उन्होंने अंगवस्त्र और भगवान श्रीराम का स्मृति चिन्ह भेंटकर उनका सम्मान किया। इसके बाद ऊर्जा मंत्री एवं शहरी विकास मंत्री ए.के. शर्मा से भी आत्मीय वार्ता हुई। यहां भी धार्मिक परंपरा के अनुरूप अंगवस्त्र एवं श्रीराम स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मान किया गया। लखनऊ प्रवास के दौरान शर्मा हनुमान ने मनकामेश्वर सिद्ध मंदिर पहुंचकर महंत दिव्यागिरी से आशीर्वाद लिया।इसके उपरांत यात्रा अयोध्या धाम पहुंची। यहां भगवान श्रीरामलला के दर्शन कर हनुमानगढ़ी में पूजन-अर्चन किया गया। इस अवसर पर ब्रह्मऋषि विभूति ने संत परंपरा के महत्त्व और अयोध्या में विकसित हो रहे आध्यात्मिक वातावरण को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि अयोध्या आने से हर भक्त के जीवन में एक नया उत्साह और संकल्प का संचार होता है।
गोरखपुर में समापन
तीन दिवसीय यात्रा का अंतिम पड़ाव गोरखपुर रहा। यहां गोरक्षपीठ की ओर से ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ की 56वीं और राष्ट्रसंत महंत अवेद्यनाथ की 11वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सप्ताह में सम्मिलित हुए। 4 से 11 सितंबर तक चलने वाले इस कार्यक्रम की शुरुआत अखंड ज्योति प्रज्वलन और शोभायात्रा से हुई थी। प्रतिदिन महंत दिग्विजयनाथ स्मृति भवन में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हो रहा है, जिसका वाचन अयोध्या धाम के जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी राम दिनेशाचार्य महाराज कर रहे हैं।गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा ने मंदिर सचिव द्वारिका प्रसाद तिवारी से भेंट की और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सान्निध्य का सौभाग्य प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ने धर्म, संस्कृति, शिक्षा, चिकित्सा और समाज सेवा के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया है। वे पूरे देश में सामाजिक पुनर्जागरण के अग्रदूत के रूप में स्मरण किए जाते हैं।