गाजियाबाद वाईबीएन संवाददाता
प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 शहीद स्मारक समिति द्वारा आयोजित हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी शहीद स्थल मेट्रो स्टेशन के पास श्रद्धांजलि भावांजलि पुष्पांजलि की गई समिति के अध्यक्ष पंडित रामआसरे शर्मा ने बताया कि हिंडन नदी का ऐतिहासिक युद्ध, जब क्रांतिकारियों ने अंग्रेजो का घमंड चकनाचूर किया 31 मई का दिन भारतीय इतिहास में सदा याद किया जाता रहेगा क्योंकि 30 व 31 मई 1857 को ब्रिटिशकालीन भारत में दुनिया की सबसे प्रशिक्षित अंग्रेजी फौज व भारत के क्रान्तिकारियो की उत्साही सेना का मुकाबला गाजियाबाद में बहती हिंडन नदी के तट पर हुआ था।
देश सर्वोपरि
संस्था के मीडिया प्रभारी एवं विश्व ब्रह्मऋषि ब्राह्मण महासभा के पीठाधीश्वर ब्रह्मऋषि विभूति बीके शर्मा हनुमान ने बताया कि प्रथम स्वतंत्रता संग्राम भारतीय इतिहास का एक ऐसा दिव्य तथा भव्य अध्याय है, जिसमें धर्म, वर्ग, जातियों की सभी दीवारें ध्वस्त हो जाती हैं और जनसमूह के रूप में भारत की आत्मा मुखर होती है| अंग्रेजी तथा वामपंथी इतिहासकार भले ही इस महासमर को गदर या विद्रोह की संज्ञा दें, परंतु यह भारतीय आत्मा की आवाज थी। इस आवाज का स्पंदन सनातन राष्ट्र की पावन माटी के कण-कण में सुरभि- स्वरूप अनुभूत किया जा सकता है।जंग-ए-आजादी में जनचेतना और मनचेतना का कार्य हर स्तर पर हुआ।
पत्रकारिता की भूमिका
उस वक्त की व्रतधारी पत्रकारिता ने भी आजादी के पहले समर में क्रांति का बीजारोपण किया | जन-जन तक, मन-मन तक आजादी के समर को पहुँचाया और फिरंगी हुकूमत के खिलाफ उठ खड़े होने का शंखनाद किया | ऐसा शंखनाद, जिसने अनंत नभ में आजादी की क्रांति को हवा दी |राष्ट्र और राष्ट्रगायकों को हमारी ओर से सादर शब्दांजलि है, भावांजलि।
यह रहे मौजूद
इस अवसर पर संस्था के महामंत्री पी न गर्ग, वरिष्ठ समाजसेवी संदीप त्यागी रसम, छोटेलाल कन्नोजिया, सतपाल सिंह तेवतिया पूर्व डायरेक्टर गन्ना समिति, हरेंद्र पप्पू पूर्व सभासद, संतोष दिक्षित, शरीफ मियां, भिखारी लाल,डॉ शीला रानी, डॉक्टर संजय सिंह, डॉक्टर दिलीप कुमार, डॉ एसके मिश्रा, एम एल बड़वार, ए खालिद, डा मिलन मंडल, डॉ वसीम, डॉ एस के सिकदर, ब्रजन विश्वास, अभिजीत दत्ता, किंकर राय, आलोक चंद शर्मा, डा डी के सिंह, डा ऐके जैन,डा देवाशीष ओझा, रंजीत पौद्दार, डा डी के वासु, गौरव, डॉ देवेंद्र कुमार आदि मौजूद थे